दुनियाभर में तेजी से फैल रहे कोरोना वायरस के नए-नए वैरिएंट ने सबकी चिंता बढ़ा दी है। वहीं डेल्टा और ओमिक्रॉन के बाद अब कोरोना का डबल वैरिएंट सामने आया है, जिसे डेल्मिक्रॉन नाम दिया जा रहा है। माना जा रहा है कि कोरोना का सुपर स्ट्रेन डेल्मिक्रॉन ही अमेरिका और यूरोप में कोरोना के तूफानी गति से बढ़ने के लिए जिम्मेदार है। वैज्ञानिकों के मुताबिक डेल्मिक्रॉन लोगों में कोरोना के गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है।
क्या है डेल्मिक्रॉन?
- डेल्मिक्रॉन कोरोना का नया वैरिएंट नहीं है। दरअसल, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना के डेल्टा वैरिएंट और ओमिक्रॉन वैरिएंट मिलकर एक ‘सुपर स्ट्रेन’ बना रहे हैं, जिसे डेल्मिक्रॉन कहा जा रहा है।
- कोविड-19 टास्क फोर्स के एक अधिकारी के मुताबिक यूरोप और अमेरिका में डेल्टा और ओमिक्रॉन के ट्विन स्पाइक्स से उपजे डेल्मिक्रॉन ने लोगों के लिए मुसीबतें बढ़ा दी हैं।
- कोरोना के दो अलग-अलग वैरिएंट का संक्रमण गंभीर संमस्याओं का कारण बन सकता है।
- व्यक्ति में एक साथ डेल्टा और ओमिक्रॉन संक्रमण हो जाने की स्थिति को डेल्मिक्रॉन कहा जा रहा है।
- डॉक्टर्स के मुताबिक कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग-डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों ही वैरिएंट से संक्रमित हो सकते हैं। ऐसे ही लोगों के अंदर डेल्टा और ओमिक्रॉन के वायरस मिलकर नया सुपर स्ट्रेन डेल्मिक्रॉन बना रहे हैं।
गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है डेल्मिक्रॉन
विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट को अब तक का सबसे संक्रामक वैरिएंट माना जा रहा है। वहीं डेल्टा के कारण लोगों में दूसरी लहर के दौरान गंभीर स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं देखने को मिली थीं। ऐसे में डेल्मिक्रॉन, यानी कि इन दोनों का संयोजन गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।
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ऐसे लोगों में डेल्मिक्रॉन का खतरा अधिक
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि, कमजोर इम्यूनिटी बुढ़ापा और कोमोरबिडिटी (एक से अधिक बीमारियों से ग्रसित) के शिकार लोगों में डेल्टा और ओमिक्रॉन से एक साथ संक्रमण का जोखिम अधिक हो सकता है।
इसके अलावा ऐसे लोग जिन्हें अब तक कोरोना वैक्सीन नहीं लगी है उनमें भी डेल्मिक्रॉन संक्रमण फैलने का खतरा है। दुनिया के जिन हिस्सों में टीकाकरण की दर कम है वहां भी लोगों में इसका खतरा अधिक बना हुआ है।
वैक्सीन से बचाव की संभावना!
मीडिया रिपोर्टस में वैज्ञानिकों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक कोविड-19 वैक्सीन कोरोना के गंभीर संक्रमण और इसकी वजह से अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को कम करने में मददगार हैं। जो लोग वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके हैं, उन्हें कुछ हद तक सुरक्षित माना जा सकता है। ओमिक्रॉन की संक्रामकता कम करने में वैक्सीन कितनी असरदार हैं, इसको लेकर अध्ययन किया जा रहा है।