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महाकौशल- विंध्य में गहराने लगा जल संकट, गड्ढे का दूषित पी रहे सिंगरौली के आदिवासी

नल-जल योजनाएं ठप, हैंडपंपों ने तोड़ा दम, शोपीस बनी पानी टंकी

जबलपुर। अभी मार्च का महीना आधा भी नहीं बीता और पानी के लिए हाहाकार शुरू हो गया। नदियों का जलस्तर कम हो गया, हैंडपंपों की सांसें उखड़ने लगीं, नल-जल योजनाएं आधी- अधूरी पड़ी हैं। पानी की टंकी है, पर पाइप लाइन नहीं बिछी है, कुओं में पानी तली पर पहुंच गया है। प्यास बुझाने के लिए लोगों को पानी खरीदना पड़ रहा है। गड्ढों का दूषित पानी पीकर ग्रामीण संक्रामक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। जिम्मेदारों को ये समस्याएं नहीं दिख रही हैं। महाकौशल- विंध्य अंचल के जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट पर प्रस्तुत रिपोर्ट…..

सिंगरौली: दुर्गंध युक्त और गंदा पानी पीने को मजबूर

जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर स्थित आदिवासी बाहुल्य गांव गोभा के बघबनवा टोला में 20 घरों के आदिवासी परिवार गड्ढे का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। पार्वती सिंह गोंड़ ने बताया कि हम लोग गड्ढे से पानी लाते हैं, जिसका पानी रुका हुआ होने के कारण बहुत गंदा और दुर्गंध मारता है। जिसे पीने से तरह- तरह की बीमारियां होती हैं, लेकिन कोई सुध लेने को तैयार नहीं है। सरकार द्वारा चलाई जा रही नल-जल योजना केवल कागजों तक ही सीमित रह गई है। इस मामले में सिंगरौली कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला ने कहा कि जल्द ही जल जीवन मिशन के तहत गोभा निवासियों को मीठा पानी उपलब्ध करवाया जाएगा।

उमरिया: अतरिया में 1 ही हैंडपंप पर 400 बैगा परिवार निर्भर

उमरिया जिले के बैगा बाहुल्य गांव अतरिया में गर्मी की शुरुआत में ही जल संकट की समस्या होने लगी है। फूलकली बैगा ने बताया कि गांव में पेयजल के लिए सरकारी नल-जल योजना सालभर से अधूरी पड़ी हुई है। गांव में तकरीबन चार सौ परिवार निवास करते हैं। ये परिवार सिर्फ एक ही हैंडपंप के पानी पर आश्रित हैं। जब हैंडपंप बिगड़ जाता है तो मजबूरी में दूरदराज के नदी और नालों से पानी लाकर गुजारा करना पड़ता है। दूषित पानी के उपयोग से संक्रमित बीमारियों का भी खतरा बना रहता है। इस मामले में उमरिया सीईओ अभय सिंह ओहरिया का कहना है कि शीघ्र ही ग्रामीणों की समस्या का समाधान किया जाएगा।

दमोह: शोपीस बनी टंकी, कुएं के भरोसे बहेरा के ग्रामीण

दमोह के तेजगढ़ खुर्द ग्राम पंचायत के अंतर्गत ग्राम बहेरा में ग्रामीण पानी के लिए मशक्कत कर रहे हैं। यहां पानी की टंकी, पाइप लाइन तो है, परंतु इससे पानी नहीं मिल रहा है। गांव में लगे हैंडपंप में भी पानी की कमी है। जिससे ग्रामीण अब कुओं की तरफ रुख करने लगे हैं। जुगराज, हल्ले और गोविंद ने बताया कि पानी की टंकी बनवाई गई है, लेकिन वह सिर्फ शोपीस बन कर रह गई है। ग्रामीणों को कुएं से ही पानी लाना पड़ रहा है।

सीधी: दो किलोमीटर दूर सोन नदी से पानी लाते हैं

सीधी जिले के ग्राम हनुमानगढ़ के करही टोला बस्ती में पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। ग्रामीण सुनीता यादव, कौशिल्या गोंड़, रागिनी गोंड़ ने बताया कि यहां कहने को तो दो हैंडपंप हैं, लेकिन उसमें से एक खराब पड़ा है। एक हैंडपंप से पानी नहीं निकलता है। हम लोग दो किलोमीटर दूर सोन नदी में नहाने जाते हैं तो वहीं से पीने का पानी भी ले आते हैं। हमारे यहां नल-जल योजना भी है, लेकिन दो दिन पानी आता है तो करीब 15-20 दिन नल बंद रहता है।

कटनी : रीठीवासी टैंकरों से खरीद रहे पेयजल

जिले के रीठी जनपद पंचायत मुख्यालय के रहवासी टैंकरों से खरीद कर पानी पीने मजबूर हैं। यहां नल-जल योजना भी ठप है। ग्रामीण रमेश, शिवा, सुनीता गुप्ता, अर्चना तिवारी, कल्पना शर्मा ने बताया कि उन्हें पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा है। टैंकरों से पानी खरीदकर प्यास बुझा रहे हैं। जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। जिसके चलते रहवासियों को पानी के लिए भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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