
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार देर शाम वक्फ (संशोधन) विधेयक को मंजूरी देकर इसे कानून का दर्जा दे दिया। सरकार ने इस पर गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। हालांकि, यह कानून कब से लागू होगा, इसका ऐलान केंद्र सरकार अलग से नोटिफिकेशन के जरिए करेगी।
12-14 घंटे की लंबी बहस के बाद मंजूरी
सरकार ने एक अधिसूचना में कहा, ‘संसद से पारित वक्फ संशोधन अधिनियम को 5 अप्रैल, 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है और इसे सामान्य जानकारी के लिए प्रकाशित किया जाता है: वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025।’
वक्फ (संशोधन) विधेयक को शुक्रवार की सुबह राज्यसभा में लंबी बहस के बाद पारित कर दिया गया। जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी। राज्यसभा में विधेयक पर करीब 14 घंटे तक बहस हुई और पक्ष में 128, जबकि विरोध में 95 वोट पड़े। जिसके बाद इसे पारित कर दिया। इससे पहले लोकसभा ने करीब 12 घंटे की बहस के बाद मंजूरी दी थी, जिसमें 288 मत पक्ष में और 232 मत विपक्ष में पड़े थे।
क्या है वक्फ संशोधन कानून और क्यों हुआ विवाद?
1954 के वक्फ एक्ट में बदलाव करते हुए यह नया कानून लाया गया है। इसका मकसद वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता, दुरुपयोग पर रोक, और अनुचित कब्जे को रोकना बताया गया है। लेकिन इसमें कुछ ऐसे प्रावधान हैं, जिनका मुस्लिम संगठन और विपक्ष विरोध कर रहे हैं।
नए कानून के मुख्य बदलाव
- अब वक्फ ट्रिब्यूनल के अलावा सिविल कोर्ट और हाईकोर्ट में भी अपील की जा सकेगी।
- बिना दान के कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएगी, चाहे वहां मस्जिद बनी हो।
- वक्फ बोर्ड में अब 2 महिलाएं और 2 गैर-मुस्लिम सदस्य नियुक्त हो सकेंगे।
- वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन अब जिला मजिस्ट्रेट के ऑफिस में होगा।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुईं चार याचिकाएं
इस कानून को लेकर अब तक सुप्रीम कोर्ट में 4 याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं। इनमें आरोप लगाया गया है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और धार्मिक स्वतंत्रता को बाधित करता है।
याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, AAP विधायक अमानतुल्लाह खान, और एक सिविल राइट्स संगठन शामिल हैं।
AIMPLB का ऐलान: देशभर में विरोध प्रदर्शन
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस कानून को शरीयत और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया है। बोर्ड ने कहा है कि, वो देशभर के धार्मिक और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाएगा।
विपक्ष ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
- राहुल गांधी ने कहा कि यह कानून मुसलमानों पर हमला है और इससे दूसरे समुदायों को भी भविष्य में निशाना बनाया जा सकता है।
- मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार वक्फ संपत्तियों को कारोबारी घरानों को देना चाहती है।
- महबूबा मुफ्ती ने इसे अल्पसंख्यकों की संपत्ति पर डाका करार दिया।
- ओवैसी ने कहा कि यह कानून मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है और अनुच्छेद 14 व 15 का उल्लंघन करता है।
बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का समर्थन
विवादों के बीच बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कानून का समर्थन करते हुए कहा कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग गरीबों और जरूरतमंदों के लिए होना चाहिए। उन्होंने कहा कि, गैर-मुस्लिमों को भी इन संपत्तियों में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।
आगे क्या होगा?
सरकार अब जल्द ही इस कानून के लागू होने की तारीख का नोटिफिकेशन जारी कर सकती है। हालांकि, कानून के खिलाफ अदालत में कानूनी लड़ाई और AIMPLB का प्रस्तावित आंदोलन आने वाले दिनों में राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर नया मोड़ ला सकता है।
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