
नई दिल्ली। भारत में चल रहे रायसीना डायलॉग-2025 में हिस्सा लेने आईं अमेरिका के राष्ट्रीय खुफिया विभाग की प्रमुख तुलसी गबार्ड ने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न को लेकर कड़ा बयान दिया है। उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं, बौद्धों और ईसाइयों के खिलाफ हिंसा और वहां इस्लामिक आतंकवाद के बढ़ते खतरे पर चिंता जताई। उनके इस बयान पर बांग्लादेश सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इसे भ्रामक और देश की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला बताया है।
तुलसी गबार्ड ने बांग्लादेश में इस्लामिक आतंकवाद को लेकर क्या कहा?
रायसीना डायलॉग में बोलते हुए तुलसी गबार्ड ने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न और वहां आतंकी संगठनों के बढ़ते प्रभाव पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं, बौद्धों, ईसाइयों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को लंबे समय से हिंसा और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है। इस्लामिक आतंकवादियों का खतरा बढ़ रहा है और यह एक इस्लामी खिलाफत स्थापित करने की विचारधारा से प्रेरित है। अमेरिकी सरकार और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस्लामिक आतंकवाद को हराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ग्लोबल लेवल पर चरमपंथी और आतंकवादी समूह एक ही मकसद से काम कर रहे हैं, एक इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए।
बांग्लादेश बोला, “हम आतंकवाद के खिलाफ हैं”
तुलसी गबार्ड के बयान पर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई और एक बयान जारी कर कहा कि हम तुलसी गबार्ड की टिप्पणियों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। उनका बयान बिल्कुल भ्रामक और बांग्लादेश की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला है। बांग्लादेश एक समावेशी और शांतिप्रिय देश है, जहां पारंपरिक इस्लामी प्रथाएं हमेशा सौहार्दपूर्ण रही हैं। हमने आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ काफी प्रगति की है और अमेरिका समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। गबार्ड का बयान बिना किसी ठोस प्रमाण के लगाए गए आरोपों की तरह है, जिसने पूरे बांग्लादेश को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
बांग्लादेश सरकार ने जोर देकर कहा कि देश में चरमपंथी समूहों की मौजूदगी कोई असामान्य बात नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए हम वैश्विक स्तर पर सहयोग कर रहे हैं।
रायसीना डायलॉग क्या है
रायसीना डायलॉग भारत का एक प्रमुख वैश्विक सम्मेलन है, जिसमें दुनियाभर के नेता, विदेश मंत्री, नीति-निर्माता और विशेषज्ञ भाग लेते हैं। इसकी शुरूआत 2016 में हुई थी।
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