
नई दिल्ली। बीते 14 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के लुटियंस स्थित सरकारी आवास पर अधजले नकदी के बोरों की बरामदगी को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने तुरंत एफआईआर की बात कही है। इस मामले में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कड़ा रुख अपनाते हुए इसे न्यायपालिका की नींव हिला देने वाली घटना करार दिया और तत्काल एफआईआर दर्ज किए जाने की मांग की।
धनखड़ ने यह टिप्पणी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एडवांस्ड लीगल स्टडीज (NUALS) में आयोजित एक सेमिनार के दौरान की। उन्होंने न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता पर बल दिया और जजों के खिलाफ गंभीर आरोपों की निष्पक्ष जांच की वकालत की।
न्यायपालिका पर देश का सबसे गहरा विश्वास, उसे डगमगाने नहीं देंगे
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में 1.4 अरब नागरिकों का सर्वोच्च विश्वास न्यायपालिका पर है। यह भरोसा किसी भी अन्य संस्था की तुलना में कहीं अधिक है। लेकिन जब न्यायपालिका से जुड़े किसी व्यक्ति के घर में इस प्रकार से अधजली नकदी मिलती है, तो यह न सिर्फ चिंताजनक है, बल्कि भरोसे को भी गहरा आघात पहुंचाता है। उन्होंने चेताया कि अगर न्यायपालिका की साख पर प्रश्नचिह्न लगा, तो पूरा लोकतंत्र संकट में आ जाएगा।
शेक्सपियर के जूलियस सीजर नाटक से जोड़ा
धनखड़ ने अपने संबोधन में 14 मार्च की तारीख का उल्लेख करते हुए इसे शक्सपियर के नाटक से जोड़ा। उन्होंने कहा कि ठीक इसी दिन शेक्सपियर के नाटक में सीजर की हत्या होती है और उसी दिन एक न्यायमूर्ति के आवास पर आग लगती है जिसमें अधजली नकदी मिलती है। उन्होंने इसे न्यायपालिका के लिए बुरी घड़ी करार दिया और कहा कि यह महज संयोग नहीं हो सकता।
उपराष्ट्रपति ने कैश को लेकर उठाए सवाल
उपराष्ट्रपति ने पूछा कि यह नकदी कहां से आई? क्या यह काला धन था? इसका स्रोत क्या था? और सबसे अहम बात, इसका असली मालिक कौन है? उन्होंने कहा कि यह कोई साधारण बात नहीं है, बल्कि एक आपराधिक कृत्य है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसकी जांच केवल प्रतीकात्मक नहीं बल्कि वास्तविक और निष्पक्ष होनी चाहिए और इसके लिए तत्काल एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए।
जजों को रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले पदों पर भी उठाए सवाल
अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने रिटायर्ड जजों को सरकारी पदों पर नियुक्त करने की परंपरा पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब UPSC, कैग या अन्य संवैधानिक संस्थाओं के अधिकारी सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद नहीं ले सकते, तो न्यायाधीशों के लिए अपवाद क्यों होना चाहिए? उन्होंने इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता के लिए खतरा बताया।
संविधान की प्रस्तावना में बदलाव को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
धनखड़ ने आपातकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में किए गए बदलावों को अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि प्रस्तावना किसी राष्ट्र के संविधान की आत्मा होती है और इसे माता-पिता की तरह देखा जाना चाहिए, जिसे बदला नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्व के किसी भी देश में प्रस्तावना को संशोधित नहीं किया गया, लेकिन भारत में यह दुर्भाग्यपूर्ण बदलाव हुआ।
तीनों संस्थाओं की सीमाओं का उल्लंघन लोकतंत्र के लिए घातक
अंत में उपराष्ट्रपति ने संविधान के मूल सिद्धांत शक्तियों के पृथक्करण पर बल दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका को अपनी-अपनी सीमाओं में रहकर कार्य करना चाहिए। यदि कोई संस्था दूसरे के क्षेत्र में हस्तक्षेप करती है तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।
क्या है जस्टिस वर्मा का मामला
14 मार्च की रात दिल्ली के पॉश लुटियंस इलाके में स्थित जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लग गई थी। आग बुझाने के बाद जब घर का स्टोर रूम खोला गया, तो वहां से 500-500 रुपए के अधजले नोटों के बंडलों से भरे कई बोरे बरामद हुए।