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वेटिकन को मिला 268वां पोप, रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट पोप बनने वाले पहले अमेरिकी, फ्रांसिस की तरह ही माने जाते हैं उदार, ‘पोप लियो-16’ नाम को चुना

वेटिकन सिटी। रोमन कैथोलिक चर्च को उसका 268वां पोप मिल गया है। वेटिकन में चल रहे पैपल कॉन्क्लेव के दूसरे दिन, अमेरिका के कार्डिनल रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट को चर्च का नया सर्वोच्च धर्मगुरु चुन लिया गया। उन्होंने अपने लिए नाम चुना है, पोप लियो-16। यह पहली बार है जब किसी अमेरिकी कार्डिनल को पोप बनाया गया है।

दूसरे दिन सफेद धुएं से हुआ चयन

8 मई की सुबह सिस्टिन चैपल की चिमनी से जैसे ही सफेद धुआं निकला, पूरे वेटिकन में खुशी की लहर दौड़ गई। इसका मतलब था कि नया पोप चुन लिया गया है। कॉन्क्लेव के दूसरे ही दिन पोप का चयन होना एक दुर्लभ घटना है। 1900 के बाद यह सिर्फ पांचवीं बार हुआ है जब दो दिन के भीतर नए पोप का चयन हो गया।

कार्डिनल्स की गोपनीय वोटिंग से चुना गया पोप

इस बार कॉन्क्लेव में 133 कार्डिनल्स ने हिस्सा लिया, जिनमें से कम से कम 89 वोट किसी एक उम्मीदवार को मिलने जरूरी थे। रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट को दो-तिहाई बहुमत मिलने के बाद उन्हें पोप घोषित किया गया। कॉन्क्लेव की शुरुआत 7 मई को हुई थी, लेकिन पहले दिन किसी भी उम्मीदवार को आवश्यक बहुमत नहीं मिल पाया था। वोटिंग का पहला दौर मंगलवार रात 9:15 बजे शुरू हुआ था, उससे पहले सभी कार्डिनल्स ने गोपनीयता की शपथ ली।

सेंट पीटर स्क्वायर में जश्न का माहौल

जैसे ही सफेद धुएं का संकेत मिला, वेटिकन के सेंट पीटर स्क्वायर में मौजूद 45,000 से ज्यादा लोगों ने जोरदार तालियों और जयकारों के साथ अपनी खुशी जाहिर की। लोगों ने एक-दूसरे को बधाइयाँ दीं और सैकड़ों कैमरे नए पोप की पहली झलक पाने के लिए तैयार हो गए।

कैसे होता है पोप का चुनाव

21 अप्रैल को पोप फ्रांसिस का निधन हुआ था। वेटिकन संविधान के अनुसार, पोप की मृत्यु के 15 से 20 दिनों के भीतर कॉन्क्लेव शुरू करना अनिवार्य होता है। कॉन्क्लेव 13वीं शताब्दी से चली आ रही एक पारंपरिक, पवित्र और गुप्त प्रक्रिया है। इसमें भाग लेने वाले कार्डिनल्स मोबाइल, इंटरनेट और मीडिया से पूरी तरह कट जाते हैं। कॉन्क्लेव की शुरुआत से दो दिन पहले वेटिकन के सुरक्षा गार्ड, टेक्नीशियन, डॉक्टर और पुजारियों ने भी गोपनीयता की शपथ ली। कॉन्क्लेव के दौरान संचार के सभी साधन बंद कर दिए जाते हैं ताकि कोई जानकारी लीक न हो।

क्या है चिमनी से निकलने वाला काला और सफेद धुआं

पोप चुने जाने की जानकारी सार्वजनिक करने का तरीका भी बेहद पारंपरिक है। जब किसी को आवश्यक बहुमत नहीं मिलता, तब वोटिंग बैलेट को एक विशेष रसायन के साथ जलाया जाता है जिससे काला धुआं निकलता है। इसका मतलब है कि अभी कोई पोप नहीं चुना गया है। वहीं, जब पोप चुन लिया जाता है, तो सफेद धुआं निकलता है।

जब किसी उम्मीदवार को दो-तिहाई बहुमत मिल जाता है, तो उससे पूछा जाता है कि क्या वह पोप बनने की जिम्मेदारी स्वीकार करता है। जैसे ही वह स्वीकृति देता है, उसे नया पोप घोषित किया जाता है। फिर सेंट पीटर बेसिलिका की बालकनी से उसका औपचारिक परिचय पूरी दुनिया से करवाया जाता है। इसके साथ ही वह पद ग्रहण कर लेता है।

कौन हैं पोप लियो-16

रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट अमेरिका से पहले ऐसे कार्डिनल हैं जो पोप बने हैं। माना जा रहा है कि वे अपने पूर्ववर्ती पोप फ्रांसिस की तरह उदार और आधुनिक सोच रखने वाले हैं। कार्डिनल्स के इस कॉन्क्लेव में शामिल अधिकांश पादरियों को खुद पोप फ्रांसिस ने ही नियुक्त किया था।

 

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