ताजा खबरधर्म

Vat Savitri Vrat 2025 : बरगद के पेड़ की पूजा से मिलता है अखंड सौभाग्य का वरदान, सुहागिनों के लिए खास दिन

वट सावित्री व्रत में बरगद (वट वृक्ष) की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन देवी सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान को बरगद के पेड़ के नीचे दोबारा जीवन दिलाया था। इस पेड़ को अक्षय वट कहा जाता है क्योंकि इसका कभी नाश नहीं होता।

सात जन्मों के साथ का प्रतीक है यह पूजा

इस दिन सुहागिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और उसके तने के चारों ओर सात बार कच्चा सूत (धागा) लपेटती हैं। यह पति-पत्नी के सात जन्मों के रिश्ते को दर्शाता है। महिलाएं इस व्रत से अपने वैवाहिक जीवन की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

पूजन के बाद होती है कथा पाठ और प्रार्थना

वट वृक्ष की पूजा के बाद सावित्री और सत्यवान की कथा पढ़ी जाती है। महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सौभाग्य के लिए प्रार्थना करती हैं। ऐसा करने से उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

अगर वट वृक्ष न मिले तो क्या करें?

अगर पूजा के दिन वट वृक्ष न मिल पाए तो एक दिन पहले उसकी डाली लाकर गमले में लगाएं और घर पर ही पूजा करें। इससे भी उतना ही पुण्य फल प्राप्त होता है।

बरगद में बसते हैं त्रिदेव

धार्मिक मान्यता के अनुसार, बरगद के पेड़ की जड़ में ब्रह्मा, तने में विष्णु और डालियों पर भगवान शिव का वास होता है। इसकी शाखाओं को मां सावित्री का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इसकी पूजा से त्रिदेवों का आशीर्वाद मिलता है।

इस बार खास है 26 मई का दिन

इस साल वट सावित्री व्रत 26 मई, सोमवार को है। इस दिन ज्येष्ठ अमावस्या और सोमवार का संयोग बन रहा है, जिसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। यह दिन महिलाओं के लिए अत्यंत शुभ और सौभाग्य देने वाला माना जाता है।

संबंधित खबरें...

Back to top button