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आजादी के बाद देश में पहली बार उत्तराखंड में लागू होगा UCC, समिति ने सौंपा सीएम को ड्राफ्ट

देहरादून। आजादी के बाद उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनने जा रहा है, जहां समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने जा रहा है। राज्य के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने को ड्राफ्ट समिति ने इसके मसौदे के दस्तावेज सौंप दिए हैं। मुख्यमंत्री इसे कैबिनेट से मंजूर कराकर इसी माह होने वाले विधानसभा सत्र के दौरान पेश करेंगे। उम्मीद है कि इस विधेयक को आसानी से विधानसभा में मंजूरी मिल जाएगी और ये राज्य में लागू हो जाएगा। ड्राफ्ट का खुलासा नहीं लेकिन ये बिंदु होंगे शामिल।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, UCC के इस ड्राफ्ट में बहुविवाह की प्रथा पर रोक लगाने, समान विरासत अधिकार और लिव-इन रिलेशनशिप की घोषणा करने जैसे जैसे अहम बिंदु शामिल होंगे। आज देहरादून में मुख्य सेवक सदन में आयोजित एक कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाले पैनल ने UCC ड्राफ्ट सीएम को सौंप दिया।

ड्राफ्ट पर बोले सीएम धामी

UCC ड्राफ्ट रिपोर्ट मिलने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इसकी जांच की जाएगी और फिर इसे लागू किया जाएगा। धामी ने कहा कि हमने जनता से विधानसभा चुनाव के दौरान इसे लागू करने का वादा किया था और हमें जनता ने इसे लागू करने के लिए जनादेश दिया था। उन्होंने उम्मीद जताई कि अन्य राज्य भी इसे जल्द ही लागू करेंगे।

 UCC ड्राफ्ट में अहम बिंदु

  1. लड़कियों की शादी की उम्र कम से कम 18 और लड़कों की कम से कम 21 साल होगी
  2. विवाह रजिस्ट्रेशन अनिवार्य रूप से कराना ही होगा
  3. जिन बिंदुओं पर पतिको तलाक लेने का अधिकार मिलेगा, वही बिंदु पत्नी के लिए भी लागू होंगे
  4. एक पत्नी के जीवित रहते पति दूसरी शादी नहीं कर सकेगा। बहुविवाह पर रोक रहेगी
  5. लड़कियों और लड़कों में संपत्ति का बराबर बंटवारा होगा
  6. लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए अधिकारिक रूप से सेल्फ डिक्लेरेशन देना होगा

गौरतलब है कि मार्च 2022 में बीजेपी की सरकार बनते ही कैबिनेट की पहली बैठक में ही UCC का मसौदा तैयार करने को मंजूरी दी गई थी। इसके लिए विशेषज्ञ सुप्रीम कोर्ट की रिटायर जज रंजना प्रकाश देसाई कीअध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था। हालांकि, देश की एक अन्य राज्य गोवा में 1867 से पुर्तगाली शासन के दौरान ही समान नागरिक कानून लागू होता है, लेकिन यहां कैथोलिक ईसाइयों और दूसरे समुदायों के लिए अलग नियम हैं।

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