
वॉशिंगटन DC। अमेरिका की प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने सख्त कार्रवाई करते हुए विदेशी छात्रों को एडमिशन देने की उसकी योग्यता रद्द कर दी है। प्रशासन का आरोप है कि, यूनिवर्सिटी ने यहूदी विरोधी गतिविधियों और विदेशी प्रभावों को बढ़ावा दिया है। इसके जवाब में हार्वर्ड ने सरकार की कार्रवाई को गैरकानूनी बताया है और कोर्ट जाने की बात कही है।
ट्रंप प्रशासन ने अचानक रद्द किया SEVP सर्टिफिकेशन
गुरुवार देर रात अमेरिका की होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम (SEVP) सर्टिफिकेशन तत्काल प्रभाव से रद्द करने का आदेश दिया। इसका मतलब है कि, अब हार्वर्ड विदेशी छात्रों को एडमिशन नहीं दे सकेगी।
72 घंटे में छात्रों की जानकारी देने का आदेश
होमलैंड डिपार्टमेंट ने हार्वर्ड को आदेश दिया है कि, यदि वह अपनी योग्यता वापस पाना चाहती है तो उसे 72 घंटे के भीतर सभी मौजूदा विदेशी छात्रों की जानकारी देनी होगी। इस आदेश के बाद यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे करीब 6,800 विदेशी छात्रों को अन्य संस्थानों में ट्रांसफर लेने या अमेरिका छोड़ने का अल्टीमेटम दिया गया है।
हार्वर्ड पर गंभीर आरोप: यहूदी विरोध और चीनी सहयोग
क्रिस्टी नोएम ने सोशल मीडिया पर एक लेटर शेयर कर कहा कि हार्वर्ड ने कैंपस में यहूदी विरोधी विचारों, हिंसा और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समन्वय को बढ़ावा दिया है। उन्होंने लिखा, “विदेशी छात्रों को नामांकन देना एक विशेषाधिकार है, अधिकार नहीं। हार्वर्ड ने कई अवसरों के बावजूद कानून का पालन नहीं किया, इसलिए यह कार्रवाई की गई है।”
पहले भी दी थी चेतावनी
डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने अप्रैल में कहा था कि, अगर हार्वर्ड 30 अप्रैल तक विदेशी छात्रों से जुड़े अनुशासनात्मक मामलों का पूरा रिकॉर्ड नहीं देगा, तो उसका सर्टिफिकेशन रद्द कर दिया जाएगा। हालांकि, यूनिवर्सिटी ने कुछ जानकारी साझा की, लेकिन प्रशासन इससे संतुष्ट नहीं हुआ।
हार्वर्ड का जवाब: सरकार की कार्रवाई गैरकानूनी
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि, सरकार की कार्रवाई गैरकानूनी है और इससे यूनिवर्सिटी की एकेडमिक स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचेगा। बयान में कहा गया, “हम 140 से ज्यादा देशों के स्टूडेंट्स को शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह कदम हमारे छात्रों और रिसर्च मिशन के खिलाफ साजिश है।”
पहले भी उठ चुकी हैं कानूनी चुनौतियां
इससे पहले यूनिवर्सिटी और प्रोफेसर्स के दो समूहों ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ कोर्ट में केस दायर किया था। प्रोफेसर्स ने आरोप लगाया कि, यूनिवर्सिटी की फंडिंग रोकना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।उन्होंने अमेरिका के संविधान के फर्स्ट अमेंडमेंट का हवाला दिया जो शैक्षणिक स्वतंत्रता को भी संरक्षित करता है।
फिलिस्तीन समर्थन पर भी मचा था विवाद
हार्वर्ड में पिछले साल गाजा संकट के दौरान छात्रों ने फिलिस्तीनी झंडा फहराया था। इसके बाद सरकार ने यूनिवर्सिटी पर यहूदी विरोधी माहौल बढ़ाने का आरोप लगाया था। कोलंबिया यूनिवर्सिटी को भी इसी कारण 33 अरब रुपये की फंडिंग से वंचित कर दिया गया था।
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