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ये संविधान के खिलाफ है… अमेरिकी कोर्ट ने राष्ट्रपति ट्रंप को दिया बड़ा झटका, ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ पर लगाई रोक

वॉशिंगटन डीसी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनकी विवादित ‘लिबरेशन डे टैरिफ’ नीति को लेकर बड़ा झटका लगा है। न्यूयॉर्क स्थित ‘यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड’ की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 28 मई 2025 को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए ट्रंप के उस कार्यकारी आदेश को अवैध और असंवैधानिक करार दिया है, जिसके तहत उन्होंने लगभग सभी देशों से आने वाले सामान पर भारी-भरकम टैक्स (टैरिफ) लगाने का फैसला किया था। अदालत ने साफ कहा कि, राष्ट्रपति ने अपने संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग किया है और यह फैसला अमेरिकी संविधान के खिलाफ है।

क्या था ‘लिबरेशन डे टैरिफ’?

2 अप्रैल 2025 को डोनाल्ड ट्रंप ने ‘लिबरेशन डे’ के रूप में एक व्यापार नीति लागू की थी, जिसके तहत अमेरिका ने लगभग सभी आयातित वस्तुओं पर 10% से लेकर 145% तक टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। खासतौर पर उन देशों पर ज्यादा शुल्क लगाया गया जो अमेरिका के साथ बड़ा व्यापार अधिशेष रखते हैं। जैसे कि चीन और यूरोपीय संघ। ट्रंप का तर्क था कि, ये देश अमेरिका को कम सामान खरीदते हैं लेकिन ज्यादा बेचते हैं, जिससे व्यापार घाटा होता है।

ट्रंप के फैसले को कोर्ट में दी गई थी चुनौती

ट्रंप के इस फैसले के खिलाफ अमेरिका के छोटे व्यापारियों के एक समूह और 12 डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरल्स ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि, ट्रंप ने जिस ‘इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट’ (IEEPA) का इस्तेमाल किया, वह उन्हें वैश्विक स्तर पर इस तरह के असीमित टैरिफ लगाने की इजाजत नहीं देता। उन्होंने तर्क दिया कि, दशकों से ट्रेड डेफिसिट चला आ रहा है, लेकिन इससे किसी तरह की इमरजेंसी या संकट पैदा नहीं हुआ।

कोर्ट ने क्या कहा?

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि, अमेरिकी संविधान के अनुसार विदेशी व्यापार नीति तय करने का अधिकार केवल अमेरिकी कांग्रेस को है न कि राष्ट्रपति को। कोर्ट ने ट्रंप के आदेशों को अमान्य ठहराते हुए कहा कि, “राष्ट्रपति ने जिस कानून (IEEPA) के तहत टैरिफ लगाए, वह उन्हें ऐसा असीमित अधिकार नहीं देता। केवल वास्तविक और असाधारण राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में ही सीमित रूप से राष्ट्रपति को अधिकार दिए जा सकते हैं। ट्रंप के मामले में ऐसा कोई आपातकाल नहीं था।”

ट्रंप प्रशासन की दलीलें खारिज

ट्रंप प्रशासन ने बचाव में 1971 में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन द्वारा लगाए गए टैरिफ का उदाहरण दिया। उनका तर्क था कि, आपात स्थिति की वैधता को तय करना अदालत का नहीं, बल्कि कांग्रेस का कार्य है। लेकिन कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज कर दिया और कहा कि दशकों से चले आ रहे ट्रेड घाटे को ‘आपातकाल’ करार देना तथ्यहीन है।

व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया

कोर्ट के फैसले के बाद व्हाइट हाउस ने कहा कि, वे इस फैसले को ‘यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फेडरल सर्किट’ में चुनौती देंगे। प्रशासन का कहना है कि, राष्ट्रीय आपातकाल जैसी स्थितियों में अदालतों को कार्यकारी निर्णयों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

ऐसा पहली बार हुआ

यह पहली बार है जब अमेरिकी संघीय अदालत ने किसी राष्ट्रपति द्वारा लगाए गए टैरिफ को सीधे तौर पर असंवैधानिक घोषित किया है। यह फैसला स्पष्ट करता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति को व्यापार नीति के नाम पर कांग्रेस के अधिकारों को दरकिनार करने की अनुमति नहीं है। इससे भविष्य में भी अमेरिकी व्यापार नीतियों में संतुलन बनाए रखने और सत्ता के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिलेगी।

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