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5 सालों में हिरासत में बलात्कार के 275 मामले आए, UP नंबर 1, MP दूसरे स्थान पर, NCRB ने जारी किए 2017 से 2022 तक के आंकड़े

नई दिल्ली। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने देश में हिरासत में हुए रेप के मामलों का आंकड़ा जारी किया है। 2017 से लेकर 2022 तक पांच सालों के इस डाटा के अनुसार कस्टडी के दौरान बलात्कार के 270 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। इस लिस्ट में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है। NCRB के आंकड़ों के मुताबिक अपराधियों में पुलिसकर्मी, लोक सेवक, सशस्त्र बलों के सदस्य, जेलों, सुधार गृहों, हिरासत स्थलों और अस्पतालों के कर्मचारी शामिल हैं।

MP दूसरे नंबर पर

साल 2017 के बाद से हिरासत में बलात्कार के दर्ज किए गए 275 मामलों में से सबसे ज्यादा 92 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए। इसके बाद 43 मामलों के साथ मध्य प्रदेश दूसरे नंबर पर रहा। साल 2017 में बलात्कार के 89 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2018 में घटकर 60, 2019 में 47, 2020 में 29, 2021 में 26 और 2022 में 24 रह गए। आंकड़ों पर नजर डालें तो 5 सालों में ऐसे मामलों में लगातार कमी आई है। वहीं, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इन घटनाओं के लिए कानून प्रवर्तन प्रणालियों में संवेदनशीलता और जवाबदेही की कमी को जिम्मेदार ठहराया है। हिरासत में बलात्कार के मामले भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376(2) के तहत दर्ज किए जाते हैं।

अधिकारी करते हैं पावर का गलत इस्तेमाल

पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुत्तरेजा ने कहा, एक महिला की कानूनी हिरासत ऐसे अवसर प्रदान करती है, जहां सरकारी कर्मचारी अपनी शक्ति का इस्तेमाल यौन इच्छा पूरी करने के लिए करते हैं। उन्होंने कहा, ऐसे कई उदाहरण हैं जहां महिलाओं को उनके संरक्षण या उनकी कमजोर स्थिति, जैसे तस्करी या घरेलू हिंसा, के कारण हिरासत में लिया गया और उनके साथ दुष्कर्म किया गया। जो प्रशासनिक संरक्षण की आड़ में शक्ति के दुरुपयोग को दर्शाता है।

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