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40 साल बाद मुक्ति : जिसने छीनीं सांसें, नए साल में वही बनेगा सांसों का सहारा… यूनियन कार्बाइड का 337 टन विषैला कचरा लेकर पीथमपुर रवाना होंगे विशेष कंटेनर

40 साल बाद यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा हट रहा है, अब हमारी जिम्मेदारी है यहां हरियाली रहे। भोपाल से पीथमपुर तक बनाया जाएगा ग्रीन कॉरिडोर, जीपीएस से होगी मॉनिटरिंग।

भोपाल। नए साल का पहला दिन राजधानीवासियों के लिए नया सवेरा लेकर आएगा। 40 साल पहले चंद घंटों में हजारों लोगों की जान लेने वाली यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री आने वाले समय में राजधानी भोपाल के लोगों की सांसों का सहारा बन सकती है। करीब 85 एकड़ में फैले फैक्ट्री परिसर को ऑक्सी-जोन बनाने की तैयारी है। यहां देश का सबसे बड़ा सिटी फॉरेस्ट तैयार होगा। इस फैक्ट्री में दबे 337 मिट्रिक टन विषैले रासायनिक कचरे को निकाला जा चुका है। बुधवार शाम इसे पीथमपुर भेजने की तैयारी है। वहां इंसीनरेटर में इसे नष्ट किया जाएगा।

इसके बाद सरकार खाली जमीन पर मियावाकी पद्धति से सिटी फॉरेस्ट बनाने की तैयारी में है। हालांकि अंतिम निर्णय होना बाकी है। पीपुल्स समाचार ने इस संबंध में पर्यावरणविदों से चर्चा की। सभी का कहना था कि यहां सिटी फॉरेस्ट बनना मृतकों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

दो लाख पेड़ों का सघन वन

योजना से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि, मियावाकी पद्धति (छोटी जगह में जंगल उगाने का तरीका) से फॉरेस्ट विकसित करने के लिए यहां पीपल, नीम, बरगद, आम, आंवला, जामुन सहित स्थानीय प्रजाति के 2 लाख ऐसे पौधे लगाए जाएंगे, जो जमीन के अंदर के प्रदूषण को सोख लेंगे।

भोपाल मेमोरियल का प्रस्ताव भी पेंडिंग

चार साल पहले तत्कालीन गैस राहत मंत्री ने फैक्ट्री की खाली पड़ी जमीन पर जापान के हिरोशिमा मेमोरियल की तर्ज पर पीस मेमोरियल बनाने का सुझाव दिया था। इसके लिए करीब 370 करोड़ की डीपीआर तैयार की गई थी। इसमें रिसर्च एंड डेवलपमेंट यूनिट, ओपन थिएटर, कम्युनिटी हॉल आदि का प्रस्ताव था।

विशेषज्ञों का कहना… सिटी फॉरेस्ट से दोतरफा फायदा

तैयार होंगे ऑक्सीजन लंग्स

डॉ. सुभाष सी पांडे, पर्यावरणविद् : सिटी फॉरेस्ट से दो फायदे होंगे। कई ऐसी प्रजाति के पेड़ होते हैं, जो जमीन के अंदर के प्रदूषण को अवशोषित करते हैं। इससे जमीन के अंदर बचा प्रदूषण खत्म होगा। वहीं फॉरेस्ट से ऑक्सीजन लंग्स तैयार होगा। इससे पुराने शहर का प्रदूषण कम होगा।

साफ हवा से सुधरेगी सेहत

राशिद नूर खान, पर्यावरणविद् : इस जगह के लिए मियावाकी पद्धति सबसे मुफीद है, लेकिन इसमें बड़े फलदार पेड़ों की जगह ऑक्सीजन प्रोड्यूस करने वाले पौधे प्राथमिकता से लगाने होंगे। साफ हवा से सेहत सुधरेगी। लोगों की आवाजाही कम से कम होनी चाहिए, इससे जंगल का अस्तित्व बचा रहेगा।

भोपाल से पीथमपुर तक ग्रीन कॉरिडोर

गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के संचालक स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि, जहरीले कचरे को निर्धारित मापदंडों के अनुसार और सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों के साथ विशेष रूप से तैयार किए 12 कंटेनरों से पीथमपुर के रामकी इनवायरो इंजीनियरिंग लिमिटेड भेजा जाएगा। इसके लिए भोपाल से पीथमपुर तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया जाएगा। एक कंटेनर में करीब 30 टन  कचरा लोड है। मंगलवार को दिनभर कचरे को कंटेनर्स में लोड करने का काम चलता रहा। यह कंटेनर लीक प्रूफ एवं फायर रेजिस्टेंट हैं। हर कंटेनर में दो प्रशिक्षित ड्राइवर तैनात किए गए हैं।  इन कंटेनरों के मूवमेंट को जीपीएस से मॉनिटर किया जाएगा।

मिट्टी में धंसे कंटेनर: मंगलवार को जहां कंटेनरों में कचरा लोड किया जा रहा था, वहां बारिश के कारण मिट्टी गीली है। इस कारण कई बार कंटेनर मिट्टी में धंस गए। इन्हें निकालने के लिए क्रेन की मदद लेनी पड़ी।

विशेष बैग में पैकिंग

कचरे को विशेष कैरी बैग में पैक किया गया है। एचडीपीई नॉन रिएक्टिव लाइनर के बने यह बैग विशेष रूप से इंडस्ट्रियल उपयोग के लिए निर्मित हैं। इन बैग्स में किसी प्रकार का संक्रमण नहीं होता। बाहरी वातावरण का असर भी नहीं होता।

2015 में हो चुका ट्रायल

यूका परिसर में 347 मीट्रिक टन कचरा था। 10 मीट्रिक टन 2015 में ट्रायल के रूप मे जलाया जा चुका है। संचालक सिंह ने बताया कि इस जहरीले कचरे का निष्पादन टू लेयर कम्पोजिट लाइनर सिस्टम से किया जाएगा।

एक मजदूर आधा घंटा कर रहा काम

जानकारी के अनुसार, कचरा निकालने के लिए 100 मजदूरों को चुना गया है। इस दौरान इन मजदूरों के स्वास्थ्य की भी निगरानी की जा रही है। एक मजदूर सिर्फ आधा घंटा ही कचरे के संपर्क में रहता है। इसके बाद मजदूरों की दूसरी शिफ्ट आ जाती है। कचरे के संपर्क में रहने के बाद मजदूरों का हेल्थ चेकअप किया जाता है। सभी मजदूरों को पीपीई किट के साथ रेडिएशन मॉनिटर भी दिया गया है।

3 जनवरी तक हाईकोर्ट में पेश करनी है रिपोर्ट

गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के संचालक सिंह के अनुसार, जहरीले जहरीले को पीथमपुर ले जाने के लिए भोपाल से वहां तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया जाएगा। मालूम हो कि हाईकोर्ट ने 6 जनवरी तक इसे हटाने के निर्देश दिए थे। 3 जनवरी को सरकार को हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश करनी है। यानी, 2 जनवरी तक हर हाल में कचरा पीथमपुर भेजना है। रामकी एनवायरो इसका निष्पादन करेगी।

 

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