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ट्रंप ने पलटा अपना फैसला, विदेशी छात्रों का वीजा अब नहीं होगा रद्द

अमेरिकी राष्ट्रपति 100 दिन पूरे होने पर मिशिगन में मनाएंगे जश्न

वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार अदालत के आगे झुकती हुई नजर आ रही है। ट्रंप सरकार ने अपने एक फैसले को पलटने का फैसला किया है, जिसके बाद अब अमेरिका में रह रहे विदेशी छात्रों का वीजा रद्द नहीं किया जाएगा। एक सरकारी वकील ने शुक्रवार को घोषणा की है कि अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) ने देशभर में रह रहे अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की कानूनी अनुमति खत्म करने के अपने फैसले को बदलने का फैसला लिया है। ट्रंप सरकार की तरफ से वकील ने ओकलैंड की एक संघीय अदालत को बताया कि आईसीई उन छात्रों की कानूनी स्थिति को मैन्युअल बहाल कर रहा है, जिनके रिकॉर्ड हाल ही में खत्म कर दिए गए थे। इधर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगले सप्ताह अपने कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर मिशिगन में एक रैली को संबोधित करेंगे। इस साल जनवरी में व्हाइट हाउस लौटने के बाद यह उनकी पहली रैली होगी। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने बताया कि मिशिगन में यह रैली राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल के 100वें दिन से एक दिन पहले यानी 29 अप्रैल मंगलवार को होगी। ट्रंप के कार्यकाल के 100 दिन 30 अप्रैल को पूरे होंगे। वहीं ट्रंप की मिशिगन यात्रा के 100वें दिन में राज्य की डेमोके्रटिक गवर्नर ग्रेचेन व्हिटमर के साथ बैठक करने की भी योजना है। इससे पहले ट्रंप शनिवार को पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए रोम जाएंगे, जो उनके दूसरे कार्यकाल की पहली विदेश यात्रा होगी।

कई देशों पर फोड़ा टैरिफ बम

सबसे बड़ा फैसला ट्रंप का टैरिफ लगाने को लेकर था। ट्रंप ने उन सभी देशों पर टैरिफ लगा दिया, जो अमेरिकी सामानों पर अपने यहां टैरिफ लगाते थे। इससे पूरी दुनिया में हंगामा मच गया। आनन-फानन में दुनिया के बड़े-बड़े देश अमेरिका से डील करने जुट गए। आखिरकार चीन को छोड़कर ट्रंप ने सभी देशों को 90 दिनों में नई बिजनेस डील का वक्त दे दिया।

ऐसा रहा 100 दिन का कार्यकाल, कई फैसलों से दुनिया हैरान

पहले ही दिन 26 कार्यकारी आदेश:

20 जनवरी को ट्रंप ने ओवल आॅफिस में वापसी के साथ ही रिकॉर्ड 26 आदेशों पर साइन किए। इसमें प्रमुख रूप से अमेरिका को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से बाहर किया। ट्रंप ने 6 जनवरी 2021 के कैपिटल हमले में शामिल लोगों को माफ कर दिया।

गाजा टेकओवर प्लान: इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ बैठक में ट्रंप ने कहा कि अमेरिका गाजा पर नियंत्रण लेकर उसे मिडल ईस्ट की रिविएरा बना सकता है। उन्होंने गाजा से फिलिस्तीनियों को हटाने की बात भी कही। उनकी इस बात की दुनिया भर में जबर्दस्त आलोचना हुई।

एलन मस्क को सौंपा डीओजीई मंत्रालय: 12 फरवरी को ट्रंप ने एलन मस्क को सरकार में डिपार्टमेंट आॅफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डीओजीई) का नेतृत्व सौंपा। इस विभाग की कमान संभालते ही मस्क पर ट्रंप प्रशासन पर हावी होने के आरोप भी लगे। ट्रांसपेरेंसी और हितों के टकराव पर सवाल भी उठे। इस दौरान उन्होंने कई विभागों के कर्मचारियों की छुट्टी भी की।

विवेक रामास्वामी को भी जिम्मेदारी: भारतवंशी और रिपब्लिकन नेता विवेक रामास्वामी को भी डीओजीई की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन उन्होंने बाद में पद छोड़ दिया। अब रामास्वामी ओहियो राज्य के गवर्नर पद की रेस में हैं। म्यूनिख में यूरोप को फटकार: उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने यूरोपीय देशों पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता रोकने, रक्षा खर्च न बढ़ाने और अप्रवासियों को लेकर उदार रवैये की कड़ी आलोचना की।

हार्वर्ड और कोलंबिया यूनिवर्सिटी पर एक्शन : ट्रंप प्रशासन ने इजरायल विरोधी प्रदर्शनों पर कार्रवाई के बहाने कोलंबिया यूनिवर्सिटी की $400 मिलियन फंडिंग काटी। इसके बाद हार्वर्ड की $2.2 बिलियन की फंडिंग फ्रीज कर दी और टैक्स छूट खत्म करने की धमकी दी। जवाब में हार्वर्ड ने भी ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर किया है।

ग्रीनलैंड पर नजर: ग्रीनलैंड पर ट्रंप ने कहा था- हमें ग्रीनलैंड चाहिए, सुरक्षा के लिए जरूरी है। उन्होंने बल प्रयोग पर भी जोर दिया। ट्रंप की इस बात से डेनमार्क भड़क गया और वाइस प्रेसिडेंट वेंस की यात्रा विवादों में घिरी।

अवैध प्रवासियों का जबरन निर्वासन: एक पुराना युद्धकालीन कानून इस्तेमाल करके 200 से ज्यादा संदिग्धों को जबरन निर्वासित किया गया। यह मामला अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। एक अमेरिकी सैन्य विमान 104 भारतीय प्रवासियों को लेकर पंजाब के अमृतसर में उतरा।

वरअकऊ पर रोक : डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरे कमजोर देशों को अमेरिका की तरफ से दी जाने वाली सहायता राशि पर रोक लगा दी है। अमेरिका गरीब देशों को पीने के पानी से लेकर अनाज और दवाइयों तक के लिए फंड देता था। साथ ही विकासशील देशों को भी कई तरह की रियायत देता था।

ईरान से न्यूक्लियर डील पर बातचीत: पिछली बार ईरान से न्यूक्लियर डील तोड़ने वाले ट्रंप इस कार्यकाल में उसके साथ डील करना चाहते हैं। ऐसा नहीं करने पर वह ईरान को सबक सिखाने की धमकी भी दे रहे हैं।

जेलेंस्की का अपमान: जब यूके्रन के राष्ट्रपति वलोडोमिर जेलेंस्की अमेरिकी दौरे पर पहुंचे तो उन्हें सार्वजनिक तौर पर काफी अपमान झेलना पड़ा। पहले सूट- बूट नहीं पहनने पर ट्रंप ने उनकी खिल्ली उड़ाई, फिर कैमरे के सामने ट्रंप ने काफी सुना दिया। नतीजन पहली बार ऐसा हुआ कि व्हाइट हाउस से बिना खाना खाए किसी नेता को वापस भेज दिया गया। वहीं पुतिन के साथ लगातार उनकी फोन कॉल चर्चा में रही।

अमेरिका के विस्तार की बात कर दी: डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ लेते ही अमेरिका के विस्तार की बात कर दी। इससे उसके यूरोपीय सहयोगी ही भड़क गए। कनाडा को वो कई बार अमेरिका का 51वां राज्य बता चुके हैं।

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