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बिना आईडी नंबर के नहीं होगा प्रॉपर्टी का नामांतरण

आचार संहिता के बाद मध्यप्रदेश के नगरीय निकायों में लागू होगी नई व्यवस्था

भोपाल। भूमि और भवन स्वामी अब नगर निगम के आईटी नंबर के बिना प्रॉपर्टी का नामांतरण नहीं करा पाएंगे, हालांकि उन्हें ऑनलाइन अस्थाई आईटी नंबर बनाने की छूट रहेगी। नामांतरण के लिए आवेदन मिलने पर निकाय पहले प्रॉपर्टी का सत्यापन कराएगा। इसके बाद निकाय संबंधित को स्थाई आईडी नम्बर देगा और उसके नाम का निकाय में अलग से खाता भी खोला जाएगा। इससे नगरीय निकायों, राजस्व और रजिस्ट्रार विभाग का पूरा डाटा एक प्लेटफॉर्म पर होगा। जिससे प्रॉपर्टी के असली मालिक का सत्यापन हो सकेगा।

नामांतरण के लिए भूमि और भवन स्वामी को ई- नगर पालिका के जरिए आवेदन करना होगा। आवेदन करने के बाद नामांतरण अपने आप 15 दिन से एक माह के अंदर हो जाएगा। यह व्यवस्था आचार संहिता के बाद प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में लागू कर दी जाएगी। प्रदेश में नगरीय निकायों के अंतर्गत आने वाले भूखंडों का खसरा नंबर और कॉलोनी का नक्शा ई-नगर पालिका में अपलोड किया जा रहा है। इस संबंध नगरीय प्रशासन विभाग में सहायक संचालक देवेंद्र व्यास ने आचार संहिता में प्रतिक्रिया देने से इनकार किया।

एक क्लिक पर जानकारी

एक क्लिक से पता चल सकेगा कि प्रॉपर्टी की वर्तमान स्थिति क्या है, इसमें जिसके नाम से भूमि का मालिकाना हक दर्ज है, वहीं उस भूखंड पर मकान बनाकर रह रहे हैं अथवा कोई और रह रहा है। वहीं ई- नगर पालिका में जीआईएस सर्वे रिपोर्ट भी अपलोड किया जाएगा।

रुकेगी प्रॉपर्टी की धोखाधड़ी, राजस्व में होगी बढ़ोतरी

दरअसल एक प्लॉट को कई लोगों को बेचने की शिकायतें मिलती हैं। जबकि प्रॉपर्टी मालिक हर वर्ष निकाय में टैक्स जमा करते हैं। कई ऐसे भी मामले सामने आते हैं कि प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन निकाय में दर्ज नहीं होने से भूमि स्वामी राजस्व में टैक्स जमा करते थे। रजिस्ट्री के बाद भूखंड का नामांतरण भी नहीं कराते थे, इससे निकायों को राजस्व की हानि होती थी। यह भी होता था कि निकाय प्रॉपर्टी का नामांतरण करने में लंबा समय लगा देते थे।

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