
बिजनेस डेस्क। पिछले कुछ दिनों में भारतीय शेयर बाजार, विशेष रूप से बीएसई सेंसेक्स ने वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखा। यह समय निवेशकों के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है, क्योंकि वे अपने निवेश को सुरक्षित रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसमें मुख्य रूप से अमेरिका द्वारा दुनियाभर के देशों पर थोपा गया टैरिफ मुख्य कारण है। भारत ही नहीं, पूरे विश्व के बाजारों की हालत इस समय अनिश्चितताओं से भरा है। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि निवेशक अपने निवेश को लेकर न घबराएं। बाजार को लेकर धैर्य के साथ कुछ विशेष पहलुओं पर ध्यान दिया जा सकता है।
अमेरिका में ब्लैक मंडे की घोषणा के अगले ही दिन भारत में सेंसेक्स 2200 अंक टूटा, तो वहीं निफ्टी में 992 अंकों की गिरावट हुई। यह बीते दशक की सबसे बड़ी गिरावट रही। वहीं, अमेरिका और यूरोप के बाजारों में भी इसका नकारात्मक प्रभाव रहा।
बाजार के इस हालत का जिम्मेदार कौन ?
- वैश्विक टैरिफ युद्ध- अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते टैरिफ युद्ध ने वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ाई, जिससे भारतीय बाजार भी प्रभावित हुए। इस दौरान सेंसेक्स में बड़ी गिरावट देखी गई, जिससे निवेशकों का भरोसा कम हुआ।
- आर्थिक संकेतकों का प्रभाव- भारत की आर्थिक वृद्धि दर मजबूत है, लेकिन वैश्विक अनिश्चितता के कारण निवेशकों का भरोसा कम हुआ है। आर्थिक संकेतकों का प्रभाव बाजार पर स्पष्ट देखा गया, जिससे निवेशकों को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ा।
- रुपए की गिरावट – रुपए की गिरावट ने आयात महंगा कर दिया, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ा। यह गिरावट निवेशकों के लिए चिंता का विषय बन गई, क्योंकि इससे व्यापारिक गतिविधियों पर असर पड़ा।
कौन से क्षेत्र हुए इससे प्रभावित
टैरिफ वॉर के कारण भारतीय शेयर बाजार में कई क्षेत्रों को नुकसान हुआ है, लेकिन कुछ विशेष क्षेत्रों पर इसका प्रभाव अधिक देखा गया है।
- फार्मास्यूटिकल्स : फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र पर मामूली लाभ भी हो सकता है, लेकिन कुछ दवाओं के निर्यात पर टैरिफ का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। फार्मा क्षेत्र में निर्यात-उन्मुख कंपनियों को थोड़ी राहत मिल सकती है अगर टैरिफ कम होता है।
- ऑटोमोबाइल : ऑटोमोबाइल सेक्टर पर टैरिफ का काफी असर पड़ सकता है, खासकर निर्यात के मामले में। यह सेक्टर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भर होता है, जो टैरिफ से प्रभावित हो सकती हैं।
- कृषि और वस्त्र : कृषि और वस्त्र क्षेत्र भी टैरिफ के कारण प्रभावित हो सकते हैं, खासकर अगर अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ युद्ध बढ़ता है। निर्यात पर निर्भर कृषि उत्पादों और वस्त्रों की कीमतें बढ़ सकती हैं।
- ऊर्जा उत्पाद और मशीनरी : पेट्रोलियम उत्पादों और मशीनरी पर भी टैरिफ का नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है। यह सेक्टर भी निर्यात पर निर्भर होता है, जो टैरिफ से प्रभावित हो सकता है।
ऐसे में क्या रही बाजार की प्रतिक्रिया
- 8 अप्रैल की तेजी- सेंसेक्स ने अचानक तेजी दिखाई और कुछ हद तक अपनी स्थिति में सुधार किया। इस तेजी ने निवेशकों की स्थिति में सुधार किया और बाजार की मार्केट कैपिटलाइजेशन में वृद्धि हुई।
- 9 अप्रैल की गिरावट- सेंसेक्स फिर से गिर गया, जिससे निवेशकों की चिंताएं बढ़ीं। आरबीआई द्वारा रेपो दर में कटौती ने बाजार को कुछ राहत दी, लेकिन अनिश्चितता बनी रही।
बाजार सुधार की संभावना
विश्लेषकों का मानना है कि बाजार में स्थिरता लौटने में 6-12 महीने का समय लग सकता है। हालांकि, व्यापार समझौतों में प्रगति और आर्थिक सुधार की खबरें बाजार को जल्दी सुधार सकती हैं।
निवेशकों किन बातों का रखें ध्यान
- दीर्घकालिक निवेशक- अनिश्चितता के इस दौर में मूल्य आधारित निवेश पर ध्यान दें। भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि दर और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए आकर्षक स्थिति को देखते हुए लंबी अवधि के लिए निवेश करें।
- अल्पकालिक व्यापारी – स्टॉप-लॉस का पालन करें और बाजार की अस्थिरता को ध्यान में रखें। विभिन्न क्षेत्रों में विविधीकरण करें, जैसे कि फार्मा, FMCG और रक्षात्मक शेयरों में निवेश करें।