
हर्षित चौरसिया जबलपुर। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के वैज्ञानिकों द्वारा ईजाद की गई कम दिन में पकने वाली धान की किस्मों की डिमांड प्रदेश में बढ़ने के साथ ही अन्य प्रदेश राजस्थान, उत्तर प्रदेश के साथ बिहार में भी बढ़ती जा रही है। विश्वविद्यालय के पौध प्रजनन एवं अनुवांशिकी विभाग के वैज्ञानिको ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए कम दिन यानि 80-120 दिन में पकने वाली धान की नई किस्में तैयार की हैं। इनमें दंतेश्वरी, सहभागी धान, पटेल-85, जेआर-75, जेआर-201, जेआरएच-5, जेआरएच-8, जेआर-206 एवं जेआर-81 सहित कुछ अन्य किस्में भी है। इन किस्मों की अच्छी पैदावार के चलते प्रदेश में हरदा, बैतूल, सीधी, रीवा, शहडोल, उमरिया, देवास, छतरपुर, छिंदवाड़ा के किसान नई किस्मों के प्रजनक बीज विवि से लेकर धान का अच्छा उत्पादन ले रहे हैं।
दस सालों के अनुसंधान का नतीजा हैं नई किस्में
कृषि वैज्ञानिकों को धान की नई किस्में तैयार करने में दस साल लगे। मुख्यत: तीन किस्मों जेएआरएच-5, जेआरएच-8 और जेआर-206 को दस साल के अनुसंधान के बाद तैयार किया गया है। इन किस्मों के ईजाद करने का मकसद भविष्य में कृषि के लिए भूमि कम बचेगी और सिंचाई के लिए पानी भी कम होगा। कम समय में पकने से भूमि से न्यूट्रिशियन और कम पानी लेंगी। साथ ही बीमारियों का खतरा भी कम ही रहेगा।
भविष्य की चुनौतियो के मद्देनजर धान की नई किस्में दस साल के अनुसंधानों के बाद तैयार की गई हैं। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति कम खर्च होकर प्रति एकड़ 15 से 20 क्विंटल धान आसानी से पैदा होंगे। -डॉ. संजय सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक, जेएनकेविवि, जबलपुर