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निकायों की आमदनी बढ़ाने फिर शुरू हो सकती है तहबाजारी, इस बार ऑनलाइन होगा सिस्टम

शिवराज सरकार का एक और फैसला बदलने की तैयारी

अशोक गौतम-भोपाल। निकायों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार फिर से तहबाजारी शुल्क वसूलने की छूट देने पर विचार कर रही है। तहबाजारी पर प्रतिबंध लगाने से भोपाल, इंदौर सहित प्रदेश के बड़े निकायों को हर साल चार से पांच करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। इसकी भरपाई करने के लिए सरकार निकायों को कोई अतिरिक्त राशि नहीं दे रही है। शिवराज सरकार ने विधानसभा चुनाव के तीन माह पहले ही तहबाजारी वसूली बंद करने के निर्देश दिए थे।

इस निर्देश पर सभी निकायों ने अपने परिषद के जरिए इस व्यवस्था को स्थगित करने का निर्णय लिया था। मालूम हो कि कई निकायों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। कर्मचारियोें का वेतन भी समय पर नहीं बंट पा रहा है। तहबाजारी बंद होने से भोपाल निगम के सालाना करीब 3 करोड़, इंदौर को 5 करोड़, जबलपुर को 2.5 करोड़ और ग्वालियर को हर साल 2 करोड़ का नुकसान हो रहा है।

                           तहबाजारी शुरू-बंद होने से ये बदलाव

इलेक्ट्रॉनिक पर्ची मिलेगी

तहबाजारी वसूली का पूरा सिस्टम ऑनलाइन होगा। इसमें वार्डवार एक अधिकारी को जिम्मेदारी दी जाएगी। यह राशि ऑनलाइन वसूली होकर एक खाते में जाएगी और कारोबारियों को भी भुगतान की पर्ची इलेक्ट्रॉनिक मिलेगी। निगम स्तर पर इस व्यवस्था को लागू कर तहबाजारी के नाम पर चौथ वसूली को भी रोकने का प्रयास किया जाएगा। एक पूरा सिस्टम तैयार होगा कि निगम के किस एरिया में कितने क्षेत्रफल में कारोबार करने वाले व्यापारी से कितनी राशि वसूल करनी है। इसके लिए अलग अलग जोन में हॉकर्स कार्नर बनेंगे।

अस्थाई बनीं स्थाई दुकानें

तहबाजारी बंद होने से सड़कों के किनारे, फुटपाथ पर और शासकीय जमीनों पर अब स्थाई दुकानें लगने लगी हैं। तहबाजारी वसूली में ठेकेदार अथवा कर्मचारियों को हर माह का डाटा निकायों को देना पड़ता था कि उनके क्षेत्र में वर्तमान में कितनी दुकानें हैं और कितनी दुकानों से वसूली की जा रही है। इसके अलावा ये यह भी रिपोर्ट करते थे कि उनके यहां कोई भी अस्थाई दुकान स्थाई तौर पर तो नहीं बना ली गई है। डेली मॉनिटरिंग नहीं होने से ये दुकानें स्थाई होती जा रही हैं। इसके अलावा फुटपाथों पर अतिक्रमण स्थाई हो गया है।

इसलिए बदल रहे व्यवस्था

  • निकायों की वित्तीय स्थिति खराब है।
  • 250 से अधिक निकायों में कर्मचारियों को दो माह से लेकर तीन माह तक का वेतन लेट मिल रहा है।
  • बिजली के बिल समय पर जमा नहीं होने से कई निकायों पर विद्युत वितरण कंपनियां पेनाल्टी लगाती रहती हैं।
  • शहर के विकास कार्य रुकते हैं।

करोड़ों का नुकसान

तहबाजारी वसूल नहीं होने से निकायों को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। सरकार की तरफ से क्षतिपूर्ति भी नहीं दी जा रही है। नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को प्रतिवेदन देकर निकायों की वित्तीय स्थिति मजबूत करने के लिए कहा है। -सुरेंद्र सिंह सोलंकी, अध्यक्ष, मप्र ननि व नपा अधिकारी, कर्मचारी संघ

व्यवस्था बहाल करने करेंगे चर्चा

निकायों में तहबाजारी वसूली व्यवस्था को फिर बहाल करने पर विचार विमर्श किया जाएगा। इसके अलावा निकायों की आय बढ़ाने पर अधिकारियों से चर्चा कर सरकार को सुझाव दिए जाएंगे। -प्रतिमा बागरी, राज्य मंत्री, नगरीय प्रशासन एवं आवास

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