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तलाक की एक वजह यह भी; रील्स बना लेती हैं, खाना नहीं बना पाती बहुएं

फैमिली कोर्ट व थानों में पहुंच रहे हजारों मामले, घरेलू काम में दक्ष बहू न होने से परिवार में रहता है तनाव

सिद्धार्थ तिवारी-जबलपुर। मेरी बहू काम करने में बिल्कुल रुचि नहीं रखती, जब उसे समय मिलता है, तो वह रील्स बनाने लगती है। जैसे-तैसे काम चल रहा है, लेकिन कभी ऐसी स्थिति आ जाती है कि जब खाने की परेशानी होती है, तो बहू होटल से मंगवाने की बात कहती है। ऐसे मामले एक दो नहीं बल्कि हजारों हैं, जिसमें सास अपनी बहू की शिकायत करते हुए उसे समझाने के लिए गुहार लगाती है। इतना ही नहीं, तलाक होने का सबसे बड़ा कारण यही सामने आ रहा है। इस समस्या से घरेलू क्लेश इतना बढ़ जाता है कि युवक आत्महत्या तक करने के लिए सोचने लगते हैं। शादी के बाद भी पति-पत्नी मिलकर रील्स बनाने में लग जाते हैं। वहीं, कई युवतियां ऐसी हैं जो रील्स बनाने में माहिर हैं लेकिन उन्हें खाना बनाना नहीं आता है।

चीफ काउंसलर फैमिली कोर्ट अंशुमान शुक्ला ने बताया कि पढ़ने के लिए युवतियां हॉस्टल और पेइंग गेस्ट के तौर पर रहती हैं, पढ़ाई में अच्छे अंक पाने के लिए वे टिफिन लगा लेती हैं, जिसके चलते वे घरेलू काम को नहीं सीख पाती हैं। पढ़ाई के बाद उनका विवाह हो जाता है, जिसके बाद जब वह ससुराल जाती है, तो उनके घरेलू काम के बारे में कोई जानकारी नहीं होती। जबकि वह पढ़ाई के दौरान हॉस्टल में या पीजी में मोबाइल का उपयोग हमेशा ज्यादा करती हैं और रील्स बनाने में माहिर होती हैं।

क्या बोलते हैं आंकड़े

  1. फैमिली कोर्ट में हर साल 2 से 4 हजार मामले आते हैं
  2. थानों में रोजाना 2 से 3 मामले दर्ज होते हैं
  3. जिले में हर साल 10 हजार नए मामले सामने आते हैं

केस-1

संजीवनी नगर क्षेत्र में रहने वाली एक महिला बेटे-बहू के साथ रहती है। जब महिला बहू को कोई काम के लिए कहती है, तो वह उस काम करने से इनकार कर देती है। साथ ही कभी महिला की तबीयत बिगड़ने पर किसी तरह से बेटा और बहू मिलकर दाल-चावल बनाकर खा लेते हैं।

केस-2

विजय नगर क्षेत्र में रहने वाली एक महिला की शिकायत है कि उसकी बहू सभी से बातचीत अच्छे से करती है, लेकिन दिन भर मोबाइल में रील्स बनाती है। बहू को काम आता ही नहीं हैं। घर में एक नौकरानी भी है, लेकिन त्योहारों में जब नौकरानी नहीं आती, तो खाना महिला को ही बनाना पड़ता है।

रील्स बनाने वाली बहू से ससुराल वालों को परेशानी हो रही है, अब उनकी ऐसी मानसिकता हो रही है कि कम पढ़ी लिखी बहू मिले, लेकिन घरेलू काम जानती हो। -अंशुमान शुक्ला, चीफ काउंसलर , फैमिली कोर्ट

इन दिनों अपनी प्रतिभा को लोगों तक पहुंचाने के लिए रील बनाने का ट्रेंड चल रहा है। संभवत: कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो स्पॉट लाइट सिंड्रोम से पीड़ित होते हैं और वे लोगों को ध्यान आकर्षित करने के लिए रील जैसे माध्यम अपनाते हैं। इसे कम करने के लिए माता-पिता, टीचर्स को बच्चे का वैल्यू सिस्टम स्ट्रॉन्ग करना जरूरी है। -पायल चौरसिया, मनोवैज्ञानिक

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