
Axiom Mission 4 एक बार फिरसे टल गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने Axiom Mission 4 (Ax-4) के लिए नई लॉन्च तारीख की घोषणा की। अब यह बहुप्रतीक्षित मिशन 22 जून को भारतीय समयानुसार दोपहर 2:23 बजे अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। शुभांशु शुक्ला इस मिशन में भारत के पहले ऐसे अंतरिक्ष यात्री होंगे, जो ISS पर वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। उनके साथ पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल होंगे।
Axiom Space, NASA, SpaceX और ISRO के संयुक्त प्रयास से चलाया जा रहा यह Axiom-4 मिशन तकनीकी, वैज्ञानिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से भारत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि बन सकता है। मिशन के तहत कुल 14 दिनों तक चार अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर रहकर अनुसंधान और परीक्षण जैसे अभियानों को अंजाम देंगे।
क्या है Axiom-4 मिशन
Axiom Mission 4 (Ax-4) एक निजी अंतरिक्ष मिशन है जिसे Axiom Space कंपनी NASA और SpaceX के साथ मिलकर संचालित कर रही है। इस मिशन की सबसे खास बात यह है कि इसमें भारत, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री पहली बार संयुक्त रूप से ISS पर भेजे जा रहे हैं। मिशन में इस्तेमाल होने वाला SpaceX का Falcon 9 रॉकेट और Crew Dragon अंतरिक्ष यान चार अंतरिक्ष यात्रियों को ISS तक पहुंचाएगा।
भारत की ओर से शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के पायलट की जिम्मेदारी दी गई है। शुभांशु ISRO से प्रशिक्षित अंतरिक्ष यात्री हैं और भारतीय वायुसेना में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उनके साथ मिशन कमांडर के रूप में NASA की पूर्व अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिट्सन, पोलैंड के स्लावोश उजनांस्की-विस्निव्स्की और हंगरी के टिबोर कपु भी इस यात्रा का हिस्सा होंगे।
मौसम ने अटकाया मिशन का सफर
Axiom-4 मिशन की लॉन्चिंग पहले 29 मई को होनी थी, लेकिन तकनीकी खामियों और मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के चलते इसे कई बार टालना पड़ा। Falcon 9 रॉकेट में लिक्विड ऑक्सीजन का रिसाव, Crew Dragon यान में इलेक्ट्रिकल हार्नेस की खराबी और ISS के Zvezda मॉड्यूल में हवा का रिसाव जैसी समस्याएं इस मिशन की राह में बड़ी बाधा बनीं।
SpaceX ने रॉकेट और यान की मरम्मत कर सभी तकनीकी बाधाओं को दूर कर दिया है। Zvezda मॉड्यूल में भी रूसी कॉस्मोनॉट्स द्वारा सुधार किया गया है और अब वहां का दबाव स्थिर बताया जा रहा है। इसके अलावा मौसम भी अब लॉन्चिंग के लिए अनुकूल है। इसी आधार पर 22 जून को लॉन्चिंग की नई तारीख तय की गई है।
शुभांशु शुक्ला ISS पर वैज्ञानिक प्रयोग करने वाले पहले भारतीय
शुभांशु शुक्ला का यह मिशन भारत के अंतरिक्ष सफर में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है। वे पहले भारतीय होंगे जो ISS पर वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। इससे पहले केवल राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत संघ के साथ मिलकर अंतरिक्ष यात्रा की थी, लेकिन वह ISS का हिस्सा नहीं थी। शुभांशु का यह मिशन ISRO के भविष्य के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम गगनयान के लिए भी मील का पत्थर साबित हो सकता है।
शुभांशु अंतरिक्ष में सात प्रमुख वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे जिनमें माइक्रोग्रैविटी में सूक्ष्मजीवों के व्यवहार का अध्ययन, मांसपेशियों के पुनर्जनन और अंतरिक्ष में फसलें उगाने से संबंधित प्रयोग शामिल हैं। ये सभी परीक्षण भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण अनुभव और डेटा प्रदान करेंगे।
भारत, पोलैंड और हंगरी के साझा प्रयास
इस मिशन में सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्रियों की भागीदारी भी विशेष महत्व रखती है। यह पहला मौका है जब तीन देशों के अंतरिक्ष यात्री एक साथ अंतरराष्ट्रीय स्टेशन पर प्रयोग करेंगे। पोलैंड के वैज्ञानिक माइक्रोग्रैविटी में मानव आवाज और मानसिक प्रक्रियाओं पर प्रभाव का अध्ययन करेंगे, वहीं हंगरी का SUMIMANT प्रोजेक्ट स्कूली बच्चों और युवाओं में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति रुचि और जागरूकता बढ़ाने पर केंद्रित होगा। Axiom-4 मिशन की वैज्ञानिक योजनाएं 31 देशों के 60 वैज्ञानिक अध्ययनों को समाहित करती हैं, जिससे यह Axiom का अब तक का सबसे बड़ा मिशन बन चुका है।
गगनयान मिशन की राह होगी आसान
ISRO के लिए यह मिशन गगनयान से पहले का सबसे अहम प्रशिक्षण चरण माना जा रहा है। गगनयान मिशन 2026 तक तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजेगा, उसकी तकनीकी और मनोवैज्ञानिक तैयारी के लिए Axiom-4 से मिले अनुभव बेहद मूल्यवान होंगे।