
ईरान और इजराइल के बीच जारी तनाव के बीच अमेरिका ने एक बड़ा सैन्य कदम उठाते हुए ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमला किया है। रविवार सुबह किए गए इस हमले में अमेरिकी वायुसेना ने अपने सबसे एडवांस्ड स्टील्थ विमान B-2 बॉम्बर और गहराई तक मार करने वाले GBU-57 बंकर बस्टर बम का उपयोग किया।
295 फीट गहराई में बने परमाणु ठिकाने बने निशाना
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने जिन ईरानी परमाणु ठिकानों पर हमला किया, वे जमीन से करीब 295 फीट नीचे पहाड़ काटकर बनाए गए थे। ये ठिकाने फोर्डो, नतांज और इस्फहान जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शहरों में स्थित हैं। इन स्थानों को सामान्य बमों से नष्ट करना संभव नहीं था, इसलिए अमेरिका ने पहली बार युद्ध में GBU-57 बंकर बस्टर बम का उपयोग किया। इन बमों की क्षमता इस प्रकार की संरचनाओं को भेदकर अंदर तक विनाश फैलाने के लिए जानी जाती है।
37 घंटे की नॉन-स्टॉप उड़ान, हवा में ही कई बार भरा गया ईंधन
इस ऑपरेशन के तहत B-2 बॉम्बर्स ने अमेरिका के मिसौरी एयरबेस से उड़ान भरी और लगातार 37 घंटे तक आसमान में रहे। इस दौरान विमानों को कई बार हवा में ही ईंधन भरा गया ताकि उन्हें बीच में कहीं उतरना न पड़े। मिशन को अंजाम देने के बाद B-2 विमान सीधे अमेरिका वापस लौटे। इस पूरी उड़ान में उन्होंने लगभग 11,400 किलोमीटर की दूरी तय की।
फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर भारी बमबारी
B-2 बॉम्बर्स ने फोर्डो परमाणु साइट पर 30 हजार पाउंड वजन वाले 6 GBU-57 बम गिराए। वहीं, नतांज साइट पर दो बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल किया गया। इन बमों का प्रभाव इतना शक्तिशाली होता है कि यह जमीन में सैकड़ों फीट नीचे तक जाकर विस्फोट करते हैं और वहां मौजूद संरचनाओं को पूरी तरह नष्ट कर देते हैं। इसके अलावा, अमेरिका ने अपनी पनडुब्बियों से ईरान के इस्फहान और नतांज साइट्स पर कुल 30 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें भी दागीं, जिन्हें लगभग 400 मील दूर से लॉन्च किया गया।
क्या है B-2 स्टील्थ बॉम्बर
B-2 बॉम्बर को अमेरिकी वायुसेना की रीढ़ की हड्डी माना जाता है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह स्टील्थ तकनीक से लैस है, जिससे यह दुश्मन के रडार पर नजर नहीं आता। इसकी मारक क्षमता और लंबी दूरी तक उड़ान भरने की योग्यता इसे दुनिया के सबसे घातक युद्धक विमानों में शुमार करती है। इसकी सामान्य उड़ान सीमा 11,000 किलोमीटर है, लेकिन रिफ्यूलिंग के बाद यह 19,000 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है। करीब 2 अरब डॉलर कीमत वाला यह विमान किसी भी देश के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है।