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तीन साल पहले की गई प्रदेश के तत्कालीन वन मंत्री की घोषणा बेअसर, वन मेले में हर्बल उत्पादों की बिक्री 3 करोड़ से घटकर 60 लाख रु. तक हुई

विंघ्य हर्बल का उत्पादन भी 100 करोड़ नहीं पहुंचा

भोपाल। तीन साल पहले तत्कालीन वन मंत्री विजय शाह ने भरोसा दिया था कि प्रदेश में विंध्य हर्बल का उत्पादन 100 करोड़ रुपए तक ले जाएंगे और जिलों में वन मेले आयोजित होंगे। लेकिन, न उत्पादन बढ़ा और न किसी जिले में वन मेला लगा। अब नए वन मंत्री ने जिलों में वन मेले लगाने की घोषणा की है। 23 साल के वन मेला इतिहास में इस बार आयोजन भोपाल हाट जैसे सीमित क्षेत्र में हुआ। मेले में 50 हजार लोगों की भागीदारी होने और हर्बल उत्पादों की बिक्री करीब 60 लाख रुपए तक होने की जानकारी दी गई है जो पहले तीन करोड़ रुपए तक होती थी। प्रदेश में वन मेले की शुरुआत वर्ष 2001 में भोपाल के बिट्टन मार्केट से हुई। इसके बाद इसे अंतर्राष्ट्रीय पहचान दी गई। विधानसभा चुनाव से 2023 में वन मेला नहीं लगा। इस बार का मेला अंतर्राष्ट्रीय से प्रदेश स्तर पर आ गया।

जिलों में शुरू नहीं हो पाए वन मेले

  • 2021 में राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा था- हर्बल उत्पादों और उसके लाभों के संबंध में प्रचार-प्रसार हो।
  • 2021 में क्रेता विक्रेता सम्मेलन के द्वारा 13 करोड़ के व्यापार में मध्यस्थों की भूमिका समाप्त की।
  • आयुर्वेदिक चिकित्सक और वन अफसर वनों में जाएं। सिकल सेल एनीमिया के इलाज की औषधि ढूंढें।
  • तत्कालीन वन मंत्री विजय शाह ने कहा था-विंध्य हर्बल के उत्पादन को 100 करोड़ रुपए तक बढ़ाने का प्रयास है।
  • 2022 के आयोजन में राज्यपाल मंगुभाई पटेल का सुझाव-अगले वर्ष दोगुने लक्ष्य की प्राप्ति के प्रयास हों। उस साल 2 करोड़ से अधिक की बिक्री हुई थी।
  • वन मंत्री रहते डॉ. विजय शाह ने बताया- वन मेले में 2 लाख 50 हजार नागरिक आए। लगभग 3 करोड़ रुपए के वनोपज उत्पादों का विक्रय हुआ। 28 करोड़ के एमओयू साइन , जो विगत वर्ष से दो-गुने हैं।
  • इंदौर में फरवरी-मार्च 2023 में वन मेला लगवाया जाएगा।

कम समय और कम खर्च में सफल रहा वन मेला

इस वन मेले के आयोजन में लगभग 70-80 लाख रुपए खर्च हुए। इसके पहले ढाई से तीन करोड़ तक खर्च हुए। बड़े मैदान में मेला लगाने के लिए पांच माह पहले से तैयारी करना पड़ती है, इस बार 15 दिन लगे। गत वन मेले में 40 स्टॉल लगे थे, इस बार 120 थे। वन मंत्री की घोषणा पर अलिराजपुर से जिला स्तर पर प्रारंभ करने प्रस्ताव मांगा है। वन मेले में ब्रांडेड उत्पादों से ज्यादा देशी और जंगलों का हर्बल बिका। -विभाष ठाकुर, एमडी, लघु वनोपज संघ

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