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World Mental Health Day 2023 : क्या आप भी हो रहे डिप्रेशन का शिकार… ऐसे दूर करें मानसिक तनाव

लाइफस्टाइल डेस्क। हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World Mental Health Day) मनाया जाता है। आज कल मानसिक तनाव की समस्या आम बात होती जा रही है। बुजुर्गों से लेकर युवा और युवाओं से लेकर बच्चे हर किसी में डिप्रेशन की समस्या देखने को मिल रही है।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार पूरे देश में 28 करोड़ से भी ज्यादा लोग डिप्रेशन से ग्रस्त हो रहे हैं। भारत में इसकी संख्या 5 करोड़ के आस-पास है जो वाकई एक चिंता का विषय है। इंटरनेशनल लेवल पर आठ में हर एक शख्स मेंटल डिसऑर्डर (Mental Disorder) का शिकार है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में डिप्रेशन होने की संभावना ज्यादा रहती है।

क्या होता है डिप्रेशन ?

हम सभी ने अपनी जिंदगी में कभी न कभी उदासी के पलों में और निराश के मोड़ पर खुद को खड़ा पाया है। तनाव, मूड ऑफ, घबराहट, उदासी, अप्रसन्नता, दुख, लाचारी, निराशा आम और सामान्य है, लेकिन अगर यहीं भावनाएं महीनों तक बनी रहती है तो ये एक चिंता का विषय है, जिसे आपको इग्नोर नहीं करना चाहिए। क्योंकि यही भावनाएं आगे जाकर डिप्रेशन का रूप ले लेती है, जो एक मानसिक रोग बन जाता है। इसे नैदानिक अवसाद भी कहा जाता है।

आप कैसा महसूस करते हैं, क्या सोचते हैं और कैसा व्यवहार करते हैं, इन सब पर डिप्रेशन का गहरा असर पड़ता है। इसकी वजह से आपके व्यवहार में और शरीर में बदलाव और समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं। डिप्रेशन में व्यक्ति को अपने दैनिक कार्य करने में परेशानी हो सकती है। इस फेज में व्यक्ति का कुछ करने का मन नहीं करता और कई बार तो व्यक्ति को ऐसा भी महसूस होने लगता है कि वह किसी काम का नहीं है और वो जी ही क्यों रहा है, वह जीने के लायक ही नहीं हैं।

कैसे होता है डिप्रेशन

  • डिप्रेशन के कई कारण हो सकते हैं। न्यूरोट्रांसमीटर हमारे दिमाग तक संदेश पहुंचाने का काम करता है। सेरोटोनिन इसमें एक अहम रोल प्ले करता है। ऐसा माना जाता है कि इसकी कमी के कारण डिप्रेशन की स्थिति बन सकती है। सेरोटोनिन की कमी से नींद आने में दिक्कत हो सकती है। इसकी कमी को पूरा करने के लिए डॉक्टर द्वारा दवाई दी जाती है।
  • कभी-कभी जीवन में ऐसी घटनाएं घट जाती है जिसे भूलना आसान नहीं होता। उसी घटना को बार-बार सोच कर व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो जाता है।
  • केवल घटनाएं ही नहीं लम्बे समय तक बीमार रहना भी डिप्रेशन का कारण बन सकता है।
  • शरीर में हार्मोन के संतुलन में परिवर्तन भी अवसाद का कारण बन सकता है।

डिप्रेशन के लक्षण

अवसाद भले ही जीवन में एक बार हो लेकिन, इसके कई फेज हो सकते हैं। इन एपिसोड्स के दौरान निम्न लक्षण लगभग रोज और दिन के ज्यादातर समय देखने को मिलते हैं।

हर समय उदास रहना, अकेले रहना, चिड़चिड़ाहट होना, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा होना, हॉबी और खेल जैसे अधिकांश या सभी सामान्य गतिविधियों में रुचि न होना, नींद पूरी न होना, किसी से बात न करना, हर समय चिंता और बेचैनी का भावनाएं उत्पन्न होना, हर समय थकान महसूस होना, बिना किसी कारण रोगों से पीड़ित रहना, स्वयं को किसी लायक न समझना, खुद के ऊपर संदेह करना, अपना कॉन्फिडेंस खोना आदि जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं।

ऐसे रहे मानसिक तनाव से दूर

नियमित रूप से आप मेडिटेशन करें और शारीरिक गतिविधियों पर ध्यान दें। साथ ही अपनी नींद पूरी करें और पौष्टिक आहार का सेवन करें। आपको तंबाकू और अत्यधिक शराब का सेवन नहीं करना है। साथ ही ऐसी गतिविधियां करें जिसे करने में आपको मजा आता हो या खुशी मिलती हो। इससे मनोभाव, स्वास्थ्य और ध्यान में सुधार हो सकता है। किसी भी विषय का अधिक तनाव नहीं लेना है। साथ ही अपनी फैमिली, फ्रेंड्स के साथ कांटेक्ट में रहे, जिससे आपके मन को शांति मिलेगी।

बच्चे भी हो रहे हैं शिकार

बच्चो में डिप्रेशन के लक्षण दिखना खतरे की घंटी है, क्योंकि बच्चे अपने मन की बात किसी को नहीं बताते और वहीं चीज वे अपने अंदर रखते हैं जो बाद में डिप्रेशन का रूप ले लेती है। हर माता-पिता को अपने बच्चे पर ध्यान देना चाहिए। आइए जानते हैं कि बच्चों में डिप्रेशन के क्या लक्षण हो सकते हैं।

  • बच्चे का उदास रहना।
  • खुद से ही बातें करने लगना।
  • कम सोना।
  • दिन भर लो एनर्जी में रहना।
  • अकेले रहना पसंद करना।
  • किसी से ज्यादा बात नहीं करना।
  • चिड़चिडाहट होना।

(इनपुट- सोनाली राय)

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