
लाहौर। पाकिस्तान की एक अदालत ने एक ईसाई व्यक्ति को सोशल मीडिया पर ईशनिंदा वाली पोस्ट डालने का दोषी मानते हुए मौत की सजा सुनाई है। सोमवार को अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि मामला पंजाब सूबे के फैसलाबाद जिले के जरनवाला का है। यहां पिछले साल आरोपी ने कथित तौर पर कुरान के फटे हुए पन्ने टिक टॉक पर पोस्ट कर दिए थे। इसके विरोध में उग्र भीड़ ने हमला कर चर्चों और ईसाई समुदाय के घरों में आग लगा दी थी। अगस्त 2023 में दो ईसाइयों द्वारा कुरान की कथित बेअदबी की खबर वायरल होते ही भीड़ ने गिरजाघरों और ईसाई समुदाय के 80 घरों को आग के हवाले कर दिया था।
महज 11 महीने में अदालत ने सुना दी सजा-ए-मौत
न्यूज एजेंसी से मिली जानकारी के मुताबिक आतंकवाद रोधी मामलों के विशेष न्यायाधीश जैन उल्लाह खान ने शनिवार को ईशनिंदा केस के आरोपी अहसान राजा मसीह को मौत की सजा सुनाते हुए 10 लाख पाकिस्तानी रुपए का जुर्माना भी लगाया। इसके साथ ही अहसान राजा मसीह को आतंकवाद रोधी अधिनियम और इलेक्ट्रॉनिक अपराध निषेध अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत 22 साल कारावास की भी सजा सुनाई है। अदालत ने अपने फैसले में लिखा कि मसीह ने ईशनिंदा करने वाली सामग्री टिक टॉक पर पोस्ट की और मुस्लिमों की भावनाओं को आहत किया। हालांकि मौत की सजा पाने वाले अहसान राजा मसीह के वकील ने दावा किया कि वह इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे।

गिरफ्तार 200 मुस्लिमों में से 188 रिहा
हिंसा के बाद पुलिस ने चर्च और ईसाई घरों को जलाने वाले करीब 200 मुस्लिमों को हिरासत में लिया था। अब तक इनमें से किसी को भी दोषी करार नहीं दिया गया है. इनमें से 188 को अदालत ने या तो सबूतों के अभाव में आरोप मुक्त कर दिया है या फिर जमानत पर रिहा कर दिया है। ऑल माइनॉरिटी एलायंस के अध्यक्ष अकमल भट्टी ने कहा कि एक साल बीत जाने के बावजूद जरनवाला में ईसाई घरों और प्रार्थना स्थलों को आग के हवाले करने वाले एक भी व्यक्ति को सजा नहीं हुई है। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि केवल 12 मुस्लिम इस केस में मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
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