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Nobel Economics Prize 2024 : तीन लोगों को मिला अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार, ‘राजनीतिक संस्था और समाज के संबंध’ पर किया शोध

स्टॉकहोम। इस साल अमेरिका और ब्रिटेन के तीन अर्थशास्त्रियों को इकोनॉमिक्स का नोबेल प्राइज दिया गया है। इसमें तुर्की मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री डेरन एसेमोग्लू, ब्रिटिश मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री साइमन जॉनसन और ब्रिटेन के अर्थशास्त्री जेम्स ए रॉबिनसन शामिल हैं। इन्हें यह सम्मान राजनीतिक और सामाजिक संस्थाओं के निर्माण और उनके समाज की प्रगति पर प्रभाव से संबंधित शोध के लिए दिया गया है। उनकी रिसर्च ने यह बताया कि क्यों कई गरीब देश वर्षों की तरक्की के बावजूद अमीर देशों जितना विकसित नहीं हो पाए हैं।

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विजेताओं की रिसर्च ने राजनीतिक संस्थाओं के समाज पर असर को तीन तरीके से समझाया है…
  1. संसाधनों का बंटवारा और सत्ता का संघर्ष– समाज में संसाधनों का बंटवारा और निर्णय लेने की शक्ति किसके पास है, इस पर हमेशा संघर्ष रहता है। खासकर कुलीन वर्ग और आम जनता के बीच।
  2. सत्ता पर नियंत्रण का प्रयास– जनता संगठित होकर कभी-कभी सत्ता में बैठे वर्ग पर दबाव डालती है, जिससे वे सत्ता के पक्ष में फैसले लेने के लिए बाध्य हो जाते हैं। यहां यह कहा जा सकता है कि समाज की ताकत सिर्फ कुछ फैसले लेने तक सीमित नहीं है।
  3. सत्ता के हस्तांतरण की मजबूरी– कई बार अमीर सत्ताधारी वर्ग की यह मजबूरी होती है कि फैसला लेने के अधिकार को जनता के हाथ में सौंप दे।

अर्थव्यवस्था और कानून का संबंध

तीनों अर्थशास्त्रियों ने अपने शोध में बताया कि कमजोर कानून और शोषक संस्थानों वाले समाज प्रगति में बाधा डालते हैं। उनका शोध इस बात को रेखांकित करता है कि केवल समावेशी और सशक्त संस्थाएं ही किसी देश की समृद्धि बढ़ाने में योगदान कर सकती हैं।

अमर्त्य सेन एकमात्र भारतीय विजेता

भारत के अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को 1998 में अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें वेलफेयर इकोनॉमिक्स और सोशल चॉइस थ्योरी में उनके योगदान के लिए यह पुरस्कार मिला था।

नोबेल पुरस्कार का इतिहास

अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार 1969 में शुरू हुआ और इसे औपचारिक रूप से ‘अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में आर्थिक विज्ञान में स्वीडन के बैंक का पुरस्कार’ कहा जाता है। यह सम्मान राग्नार फ्रिश और जान टिनबर्गन को पहली बार प्रदान किया गया था।

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