पीपुल्स संवाददाता, इंदौर। भारत सरकार के आत्म निर्भर भारत अभियान के तहत स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर चैलेंज में आईआईटी इंदौर ने टॉप फाइनल टीमों में अपना स्थान बना लिया है। इस प्रतियोगिता में 6,169 टीमों के बीच आईआईटी इंदौर ने टॉप 30 में जगह बनाई है। ये टीमें अब स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसरों का उपयोग करके अपने हाडर्वेयर प्रोटोटाइप को और विकसित करेंगी ताकि प्रतियोगिता के अंतिम दौर में श्रेष्ठ प्रदर्शन किया जा सके। आईआईटी इंदौर की टीम में टीम लीडर गोपाल राउत, पीएच.डी.छात्र, और टीम के सदस्य सौरभ करकुन, शावेज मलिक, जोगेश कुमार, रिभु दास पुरकायस्थ और सुधीर रेड्डी शामिल हैं। इन्होने प्रतियोगिता में सेमी ड्रोन प्रोजेक्ट प्रस्तुत किया है।
आईआईटी इंदौर के कायर्वाहक निदेशक प्रोफेसर नीलेश कुमार जैन ने कहा कि हमें स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर चैलेंज के लिए फाइनल टीम में सूचीबद्ध किया गया है। मुझे यकीन है कि आत्म निर्भर भारत अभियान के तहत, हम स्वदेशी कंप्यूटर हाडर्वेयर की आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम होंगे, जो विभिन्न डोमेन में हर स्मार्ट डिवाइस का हिस्सा होगा, जिसमें पब्लिक यूटिलिटी सर्विस के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर कमोडिटी उपकरण तक शामिल है।
आईआईटी इंदौर के एनएसडीसीएस लैब प्रमुख डॉ. संतोष के. विश्वकर्मा ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा प्रतियोगियों को कई लाभ देने के साथ हाडर्वेयर और सॉफ्टवेयर संसाधनों की पेशकश की जाती है ताकि नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा दिया जा सके। यह देश में जटिल डिजाइनों को अपनाकर और वैश्विक और घरेलू स्तर दोनों की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले घरेलू माइक्रोप्रोसेसर इकोसिस्टम के आसपास मितव्ययी समाधानों को नया रूप देकर किया जाता है।