
नरेश भगोरिया-भोपाल। इंडियन हॉकी टीम के स्टार प्लेयर विवेक सागर प्रसाद की सफलता पर आज हर कोई उनका फैन है। उन्हें जिस गुरु ने तराशा है उनका नाम है अशोक ध्यानचंद। अकोला में एक साधारण से अनजान लड़के को हॉकी खेलते देख अशोक ध्यानचंद मैच के बाद उसे अकादमी आने का ऑफर दिया था। विवेक का मन तो खुश था लेकिन अकादमी तक पहुंचने के लिए पैसों के इंतजाम की चिंता थी। जैसे तैसे इटारसी के करीबी गांव चांदौन से अकादमी के ट्रायल के लिए विवेक भोपाल पहुंचे तो ट्रायल्स पोस्टपोन हो गए। अशोक ध्यानचंद ने विवेक को अपने घर ले आए। उन्होंने खेल के गुर सिखाए जिससे विवेक का जीवन निखर गया। पीपुल्स समाचार से बात करते हुए विवेक ने पेरिस से बताया हर मैच से पहले भगवान के साथ माता-पिता और गुरुजी का ध्यान करता हूं।
शिक्षा के साथ नैतिकता का पाठ भी पढ़ाया जनक पलटा दीदी ने : सुनील
प्रभा उपाध्याय-इंदौर। मेरे जीवन मेें ऐसे गुरु की भूमिका जनक पलटा दीदी ने निभाई है। उन्होंने मुझे न केवल शिक्षित किया, बल्कि समाज में एक मुकाम पर पहुंचाया है। यह कहना है 28 वर्षीय सुनील चौहान का। सुनील ने बताया कि जब मैं डेढ़ साल का था तब से मेरे माता-पिता जनक पलटा दीदी के यहां काम कर रहे हैं। पापा ड्राइवर हैं और मम्मी पूरा घर संभालती हैं। आज 30 साल से ज्यादा का समय गुजर गया है, तब से वहीं हैं। दीदी ने मुझे ही नहीं, बल्कि मेरी छोटी बहन को भी पढ़ा-लिखाकर समाज में एक मुकाम तक पहुंचाया। वह वर्तमान में अहमदाबाद में जॉब कर रही हैं। वहीं सुनील एक निजी कंपनी में इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं।
गुरु को दिए तीन वचनों को निभा रहे 20 सालों से : अभिजीत सुखदान
अम्बरीश आनन्द-ग्वालियर ध्रूपद गायक अभिजीत सुखदाने ने गुरु को जो तीन वचन दिए थे, इनका पालन वो 20 सालों से कर रहे हैं। पीपुल्स समाचार से बातचीत में अभिजीत ने बताया कि विश्व विख्यात ध्रुपद गायक एवं गुरु उस्ताद जिया फरीद उद्दीन डागर से उन्होंने 20 वर्षों तक धु्रपद गायन का प्रशिक्षण लिया। गायन प्रशिक्षण के दौरान अभिजीत से उनके गुरु ने तीन वचन लिए जिनका आज भी वो पूरी निष्ठा से पालन कर रहे हैं।
गौरीघाट में बच्चों का भविष्य संवार रहे पराग
जबलपुर। शाम होते ही नर्मदा तट गौरीघाट में नौनिहालों की कक्षाएं शुरू हो जाती हैं। पराग यह कोचिंग प्रतिदिन लगाते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी स्व. मां का सपना था कि कुछ ऐसा करो जिसे सब याद करें। उन्होंने वर्ष 2017 में 5 बच्चों के साथ कोचिंग शुरू की थी। वर्तमान में 250 बच्चे कोचिंग ले रहे हैं। गौरीघाट में प्रसाद की दुकान लगाने वाले, नाव चलाने वालों के बच्चे इंटेलीजेंट हो गए हैं।