धर्म डेस्क। सनातन धर्म में ग्रहण को बेहद अशुभ माना जाता है फिर चाहे वह सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण। इस दौरान शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। अक्टूबर के महीने में साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। वहीं ग्रहण का साया शारदीय नवरात्रि पर पड़ने वाला है, वो इसलिए क्योंकि सूर्य ग्रहण शारदीय नवरात्रि के पहले दिन लगने जा रहा है। आइए जानते हैं कि सूर्य ग्रहण कब लगने जा रहा है और सूतक काल मान्य होगा या नहीं, शारदीय नवरात्रि और सूर्य ग्रहण के प्रभाव में कैसे करें घटस्थापना?
सूर्य ग्रहण का समय
साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर यानी सर्वपितृ अमावस्या के दिन लगने जा रहा है। यह सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार रात के 9 बजकर 14 मिनट से शुरू होगा और 3 अक्टूबर को सुबह 03 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा। वहीं 3 अक्टूबर को ही शारदीय नवरात्रि की कलश स्थापना भी है। हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसके कारण प्रभाव भी नहीं पड़ेगा। आराम से नवरात्रि की शुरुआत करें।
सूर्य ग्रहण होगा रिंग ऑफ फायर
हिंदू पंचांग के अनुसार, साल का यह दूसरा सूर्य ग्रहण वलयाकार होगा, जिसे रिंग ऑफ फायर (Ring Of Fire) कहा जाता है। वलयाकार सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक पाता है, जिसके कारण सूर्य का बाहरी हिस्सा एक चमकीले वलय (Ring)के रूप में दिखाई देता है।
कहां-कहां दिखेगा सूर्य ग्रहण
इस साल का पहला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दिया था और अब चौंकाने वाली बात यह है कि इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा। क्योंकि ग्रहण का समय भारतीय समय के अनुसार रात का है।
साल का दूसरा सूर्य ग्रहण ब्राजील, कुक आइलैंड, चिली, पेरू, अर्जेंटीना, दक्षिण अमेरिका, होनोलुलु, फिजी, उरुग्वे, अंटार्कटिका, न्यूजीलैंड, आर्कटिक, ब्यूनस आयर्स और बेका आइलैंड जैसे देशों में नजर आएगा।
चार प्रकार के होते हैं सूर्य ग्रहण
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चार प्रकार के सूर्य ग्रहण होते हैं- आंशिक सूर्य ग्रहण, वलयाकार सूर्य ग्रहण, पूर्ण सूर्य ग्रहण और संकर सूर्य ग्रहण।
भारत में सूतक काल मान्य नहीं होगा
यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इस कारण से इसका सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा। धार्मिक नजरिए से सूतक को शुभ नहीं माना जाता है। वहीं ग्रहण का भौतिक प्रभाव, आध्यात्मिक प्रभाव, सूतक का प्रभाव या किसी प्रकार का धार्मिक प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। इस ग्रहण के दौरान भारत में सभी लोगों के लिए सामान्य दिनचर्या रहेगी। शास्त्रों की मानें तो ग्रहण जहां लगता है और जहां पर दिखता है वहीं इसका प्रभाव भी पड़ता है।
(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)