गवर्नर के बिल को रोकना अमान्य…तमिलनाडु सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी राहत, जानें क्या था राज्यपाल का अपराध
Publish Date: 8 Apr 2025, 5:38 PM (IST)Reading Time: 3 Minute Read
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में तमिलनाडु के राज्यपाल को फटकार लगाई है। कोर्ट का कहना है कि राज्यपाल द्वारा 10 विधेयकों को रोकना अमान्य है। राज्यपाल को ब्लॉकर नहीं बनना चाहिए। दरअसल, जस्टिस जेबी परदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने यह फैसला सुनाया कि ‘संविधान के आर्टिकल 200 के तहत राज्यपाल के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है।’ साथ ही कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह और सहायता से ही काम करना पड़ता है।
राज्यपाल के पास बिल रोकने का अधिकार नहीं- सुप्रीम कोर्ट
इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा कि ‘राज्यपाल किसी बिल को रोक नहीं सकते और न ही वीटो या पॉकेट वीटो कर सकते है। वो सिर्फ या तो मंजूरी दे सकते है या राष्ट्रपति के पास विचार करने के लिए भेज सकते हैं। इसके साथ आप दूसरी बार विचार करने के लिए नहीं भेज सकते। दूसरी बार मंजूरी देनी पड़ती है। लेकिन बिल पहली बार से अलग होना जरूरी है।’
राज्यपाल की शक्तियां लोकतंत्र के अनुसार होनी चाहिए- SC
तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में राज्यपाल आरएन रवि पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने 10 बिल को मंजूरी के बिना रोककर रखा है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 10 फरवरी को सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्यपाल द्वारा रोके गए 10 विधेयकों को उसी तारीख से पास माना जाएगा, जिस दिन विधानसभा ने इन्हें दोबारा मंजूर कर राज्यपाल को भेजा था। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्यपाल की ताकतों को कमजोर नहीं किया जा रहा है। लेकिन उनके फैसले संसदीय लोकतंत्र की भावना के अनुसार होने चाहिए।
सीएम स्टालिन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बताया ऐतिहासिक
तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर की और इसे ऐतिहासिक बताया। राज्यपाल और स्टालिन सरकार के बीच 2021 में सत्ता संभालने के बाद से ही तनातनी हैं। DMK सरकार ने उन पर भाजपा प्रवक्ता की तरह काम करने और विधेयकों और नियुक्तियों को रोकने का आरोप लगाया है। जबकि राज्यपाल का कहना है कि संविधान उन्हें किसी कानून पर अपनी सहमति रोकने का अधिकार देता है।
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