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Haryana Cabinet Expansion : आज हो सकता है ‘नायब कैबिनेट’ का मंत्रिमंडल विस्तार, शाम साढ़े चार बजे शपथ ले सकते हैं नए मंत्री

चंडीगढ़। हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार का आज मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है। यह नायब मंत्रिमंडल का पहला कैबिनेट होगा, जिसमें 6 से 7 मंत्री शपथ ले सकते हैं। शाम 4:30 नायब सिंह सैनी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है। नायब मंत्रिमंडल में कम से कम दो निर्दलीय चेहरों को भी जगह मिल सकती है। नायब सैनी ने बीते मंगलवार (12 मार्च) को सीएम पद की शपथ ली थी और एक हफ्ते में कैबिनेट का विस्तार होने वाला है।

हरियाणा मंत्रिपरिषद में आठ जगहें खाली हैं। मुख्यमंत्री को मिलाकर छह मंत्रियों ने शपथ ली थी। कुल 14 मंत्री हरियाणा में बन सकते हैं। इससे पहले 16 मार्च को भी कैबिनेट विस्तार की अटकलें लगाई गईं, लेकिन समारोह नहीं हो सका।

इन चेहरों को मिल सकती है जगह

जानकारी के अनुसार, अभय सिंह यादव को मंत्री बनाया जा सकता है। बडखल विधानसभा से विधायक सीमा तिरखा और कमल गुप्ता या असीम गोयल में से किसी एक को मंत्री पद दिया जा सकता है। बीजेपी विधायक संजय सिंह या निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत में से भी किसी एक को मंत्री बनाया जा सकता है। निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन को मंत्री पद दिया जा सकता है।

हरियाणा के 11वें सीएम बने नायब सिंह सैनी

अभी तक भाजपा, जजपा के साथ मिलकर हरियाणा में सरकार चला रही थी, लेकिन लोकसभा सीटों में बंटवारे पर बात नहीं बनने की वजह से भाजपा ने मंगलवार (12 मार्च) को गठबंधन तोड़कर निर्दलीयों के सहारे नई सरकार बना ली है। जननायक जनता पार्टी (JJP) से गठबंधन तोड़ते हुए मनोहर लाल खट्टर ने अपनी पूरी कैबिनेट के साथ मंगलवार (12 मार्च) को इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद उसी दिन नायब सिंह सैनी ने हरियाणा के 11वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली।

सीट शेयरिंग को लेकर टूटा गठबंधन

JJP लोकसभा चुनाव में हरियाणा में 1 से 2 सीटें मांग रही थी जबकि BJP का केंद्रीय नेतृत्व और राज्य संगठन सभी 10 सीटों पर खुद लड़ने के पक्ष में है। इसी वजह से गठबंधन टूटा है। JJP के राष्ट्रीय महासचिव और हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला दिल्ली में सोमवार को BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा से मिले थे, लेकिन सीट शेयरिंग पर बात नहीं बनी।

हरियाणा विधानसभा का गणित क्या है?

हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। बहुमत के लिए 46 विधायक चाहिए। भाजपा ने 2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में 90 सीटों में से 40 सीटें जीती थीं। लेकिन वह बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई थी। वहीं कांग्रेस को 31 सीटें मिली थीं। इसके अलावा जनता जननायक पार्टी को 10 सीटों पर जीत मिली थी, भाजपा ने जजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।

हरियाणा में जजपा से गठबंधन टूटा लेकिन बहुमत भाजपा के ही पास है। हरियाणा में भाजपा के पास खुद के 41 MLA हैं। 6 निर्दलीय और एक हलोपा विधायक का भी उसे समर्थन हासिल है यानी भाजपा के पास 48 विधायक हैं। बहुमत के लिए 46 सीटें चाहिए।

हरियाणा विधानसभा में दलगत स्थिति

दल     विधायक
भाजपा 41
कांग्रेस 30
जजपा 10
हलोपा 01
इनेलो 01
निर्दलीय 07
कुल संख्या 90

सैनी का “नायब” से “सदर” बनने का सफर

नायब सिंह सैनी 25 जनवरी 1970 को अंबाला के गांव मिर्जापुर माजरा में जन्मे थे। उन्होंने बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बीआर अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन और मेरठ की चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से LLB की डिग्री ली। इसके बाद राजनीति में उतरे। सैनी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े। नायब सिंह को मुख्यमंत्री मनोहर लाल का करीबी माना जाता है और सरकार में सीएम बनने से पहले उनका रूतबा नायब (डिप्टी) सीएम जैसा था। उन्होंने अपना राजनीतिक सफर बीजेपी के साथ 1996 से बतौर युवा कार्यकर्ता के तौर पर शुरू किया। 2002 में वे युवा मोर्चा भारतीय जनता पार्टी (BJP) अंबाला से जिला महामंत्री बने। 2005 में युवा मोर्चा भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष का पद भी संभाला। 2009 में उन्हें बीजेपी के किसान मोर्चा में प्रदेश महामंत्री की जिम्मेदारी मिली। 2012 में वह जिलाध्यक्ष बने और 2014 में नायब नारायण गढ़ विधानसभा से विधायक बने। 2016 में वे हरियाणा सरकार में राज्य मंत्री रहे।

मंत्री और सांसद भी रहे

2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट से उतारा। नायब सैनी यहां से जीतकर पहली बार सांसद बने। पार्टी ने जाट समुदाय से आने वाले ओमप्रकाश धनखड़ को हटाकर 27 अक्टूबर 2023 को नायब सैनी को हरियाणा BJP का अध्यक्ष बनाया था। और प्रदेश अध्यक्ष बनने के पांच महीने बाद उन्होंने सीधे सीएम पद की शपथ ले ली। अपने 28 साल के राजनीतिक करियर में नायब अब एक ऐसी मिसाल बन गए हैं जिसने सिय़ासी सफलता के नए प्रतिमान गढ़े हैं। वे अब बीजेपी के उन मुख्यमंत्रियों की जमात का हिस्सा बन गए हैं जो पार्टी द्वारा कई गुना ज्यादा अनुभवी नेताओं को दरकिनार करने के बाद अपने सूबे के सदर बने हैं।

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