पल्लवी वाघेला-भोपाल। एडिक्शन की कैटेगरी में अब मोबाइल भी शामिल है। फैमिली कोर्ट पहुंचने वाले 75 फीसदी केसेस में विवाद की वजह मोबाइल है। बीते छह माह में ऐस 14 मामले पहुंचे। जजेस की सलाह पर दंपतियों ने डिटॉक्स थैरेपी अपनाई और अपनी लत छोड़ दी। लत के इन मामलों में केवल तीन नशे के हैं, अन्य 11 डिजिटल डिटॉक्स के हैं। कुछ में पत्नी ने सोशल मीडिया पोस्ट की लत पर काबू किया, तो वहीं कुछ में पति ने चैटिंग का मोह त्यागकर परिवार को समय दिया।
काउंसलर्स के मुताबिक, पहले दंपति के बीच ईगो, गलतफहमियों के चलते तलाक होते थे। पैनडेमिक के बाद किसी एक का मोबाइल या सोशल मीडिया एडिक्शन रिश्ते टूटने की वजह बन रहा है। ऐसे में कोर्ट ने कपल्स को डिजिटल डिटॉक्स अपनाने और खराब लत छोड़ने की सलाह देना शुरू किया है।
केस- 1
कोलार निवासी एक पति ने बीते साल अक्टूबर में शिकायत की थी कि पत्नी रील्स बनाने और उसे सोशल मीडिया पर डालने में इतनी व्यस्त रहती है कि बच्चों पर ध्यान नहीं देती है। जजेस की सलाह पर पत्नी ने अमल किया और रील्स बनाने का जुनून खत्म हो गया। बीते अप्रैल में राजीनामा कर लिया।
केस-2
पति के हद से ज्यादा वॉट्सऐप पर व्यस्त रहने से नाराज एक पत्नी, बच्चों के साथ मायके चली गई। पति ने बीते साल दिसंबर में उसे वापस लाने की अर्जी दी। पत्नी ने कहा कि वह पति की मोबाइल की लत से परेशान हो चुकी है। जजेस की समझाइश पर पति ने लत छोड़ दी। अब समझौता हो गया है।
काउंसलर्स की सलाह… लत छोड़ने ये उपाय अपनाएं
- अपने मोबाइल फोन की नोटिफिकेशन रिंग बंद कर दें।
- ऐप के लिए मोबाइल में टाइम लिमिट सेट करें।
- हर हफ्ते में टेक्नोलॉजी फ्री घंटे तय करें और उस पर अमल करें।
- हर हफ्ते अपने परिवार के साथ आउटिंग पर जाएं, जहां मोबाइल का उपयोग नहीं करें, आपस में बातचीत कर एंजॉय करें।
- बच्चों और अपनी हॉबी को समय दें।
- खाते वक्त और सोने के तीन घंटे पहले मोबाइल का उपयोग न करें।