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जापानी स्टोरी टेलिंग से वोकैबलरी तो कोई करा रहा प्रोफेशनल वर्ल्ड में एंट्री की तैयारी

टीचर्स डे : किताबी पढ़ाई से हटकर एजुकेटर्स ले रहे नए अंदाज में क्लास

प्रीति जैन- जिंदगी के मोड़ पर कोई ऐसा साथ देने वाला मिल जाए जिससे राह थोड़ी आसान और रोशन हो जाए तो वो है, शिक्षक। जो क्लासरूम के अलावा बाहर की दुनिया में भी मिल सकता है। बाहर की दुनिया की जरूरत और तेजी से बढ़ती स्पर्धा में मानसिक संबल बनाए रखने की हिम्मत देते हुए आत्मविश्वास से लबरेज कर सकता है। शहर में ऐसे कुछ एजुकेटर्स हैं जो कि पारंपरिक क्लास से हटकर बच्चों, युवाओं व प्रोफेशनल्स की क्लास ले रहे हैं। इसमें से कोई स्टोरी टेलिंग के जरिए बच्चों को कठिन चीजों को आसान तरीके से सिखाने का काम कर रहा है तो कोई सुसाइडल थॉट्स तक पहुंच चुके अपने स्टूडेंट्स को नया रास्ता दिखाने का काम कर रहा है। वहीं कोई अभिव्यक्त करने पाने के तरीके पर काम करा रहा है।

कहानियों से बच्चों को सिखाती हूं कठिन शब्द और आर्ट वर्क

जब मैं स्कूल में पढ़ती थी तो अपनी मम्मी के साथ सिनेमा देखने जाती थी, लेकिन बाकी लड़कियों के घर में सिनेमा देखने जाने का माहौल नहीं था। जब हमारा खाली पीरियड होता था तब 20 से 25 लड़कियां मुझे घेर लेतीं और मैं उन्हें फिल्म की स्टोरी एक्टिंग के साथ अपने अंदाज में 30 मिनट के भीतर सुनाने की कोशिश करती। मेरे भाई को मैं अपने मन से कहानियां सुनाकर सुलाया करती थी। यह स्किल निखरती गई और अब मैं पिछले 13 साल से स्टोरी टेलिंग कर रही हूं। अब तक लगभग 10000 हजार से ज्यादा बच्चों को कहानियां सुना चुकी हूं। मैं जापानी स्टोरी टेलिंग टेक्नीक कामीशिबाई की सर्टिफाइड ट्रेनर हूं। किरदारों के कॉस्ट्यूम व प्रॉप्स के साथ कहानी सुनाती हूं। कहानी के साथ बॉक्स में प्लेकार्ड रखती हूं, जिसमें कहानी के चित्र बने होते हैं। मेरे तरीके से बच्चे वोकैबलरी, ड्रॉइंग, कलरिंग, सवाल करना आदि सीखते हैं। मैं एसवीएल व म्यूजियम स्कूल में नि:शुल्क बच्चों को कहानियां सुनाने भी जाती हूं। -अमिता सरकारी, स्टोरी टेलर, स्टोरीज एंड बियॉन्ड

पब्लिक स्पीकिंग स्किल्स को बेहतर करने पर कर रहे काम

मैं भेल में सीनियर इंजीनियर हूं और ऑफिस के बाद पब्लिक स्पीकिंग के लिए काम करता हूं। मैंने भोपाल स्टोरी टेलर ग्रुप बनाया है, जो कि बच्चों से लेकर युवाओं व प्रोफेशनल्स को पब्लिक स्पीकिंग टेक्नीक्स में कॉन्फिडेंस देने का काम करता है। खासतौर पर इंटरव्यू व प्रोफेशनल लाइफ में प्रेजेन्टेशन आदि देने वाले युवा बोलने की कला सीखना चाहते हैं तो हम उन्हें वो मंच देते हैं, जहां वे अलग- अलग विषयों से पहले खुद के बारे में रोचक तरीके से बोलना सीखते हैं। फिर एक्सपर्ट उनका मूल्यांकन कर फीडबैक देते हैं कि उनके प्रस्तुतीकरण में कमी कहां थी, और उन्हें किस तरह सुधारना है। इससे प्रोफेशनल वर्ल्ड में एंट्री करने जा रहे यंगस्टर्स की न सिर्फ पर्सनालिटी ग्रूम होती है बल्कि उनकी पब्लिक स्पीकिंग काफी प्रभावशाली बनती है। हम यह क्लास की तरह नहीं बल्कि मीटिंग की तरह इसे रखते हैं ताकि पढ़ने-पढ़ाने जैसा न लगें बल्कि सीखने-सिखाने वाला माहौल मिले। -अविरल पटले, पब्लिक स्पीकिंग एक्सपर्ट, फाउंडर भोपाल स्टोरी टेलर

सुसाइडल थॉट्स से बाहर लाने का प्रयास

मैं अपने छात्रों की जिंदगी में गहरे और सकारात्मक बदलाव लाता हूं। 30 साल से टीचिंग फील्ड में सक्रिय हूं और मेरा सीधा संपर्क स्टूडेंट्स की जिंदगी को लेकर उनसे रहता है। इस दौरान 500 से अधिक छात्र ऐसे मिले जिन्हें मैं सीधे तौर पर रास्ता दिखा सका। इसमें से कुछ स्टूडेंट्स की इस तरह की काउंसलिंग की कि उन्होंने सुसाइड का विचार छोड़कर बड़े-बड़े एग्जाम क्रेक किए यहां तक यूपीएसएसी भी। अब मैंने अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए यूट्यूब व इंस्टाग्राम से स्टूडेंट्स को रियल स्टोरीज व अपने एक्सपीरियंस से मोटिवेट करना शुरू किया तो भोपाल ही नहीं दूसरे राज्यों के स्टूडेंट्स के भी कॉल्स सलाह के लिए आते हैं। -डॉ. आमिर मेहबूब, मोटिवेशनल स्पीकर व काउंसलर

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