
इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के अवैध नागरिकों और अस्थायी तौर पर रहने की अनुमति प्राप्त लोगों को निकालने के अपने अभियान को तेज कर दिया है, क्योंकि उसका कहना है कि अब वह इससे निपट नहीं सकता। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पाकिस्तान ने इस माह 19,500 से अधिक अफगानियों को निर्वासित किया है, जिनमें 80,000 से अधिक 30 अप्रैल की समय-सीमा से पहले ही चले गए हैं। ज्ञात हो कि पाकिस्तान ने जनवरी में घोषणा की थी कि जिनके पास अफगान सिटिजन कार्ड (एसीसी) है, उन्हें 31 मार्च तक देश छोड़ना होगा, अन्यथा उन्हें जबरन निकाला जाएगा। बाद में समय-सीमा को बढ़ाकर 30 अप्रैल कर दिया गया है।
पाक में 3.5 मिलियन से अधिक अफगान
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी के अनुसार, 3.5 मिलियन से अधिक अफगान पाकिस्तान में रह रहे हैं, जिनमें 2021 में तालिबान के कब्जे के बाद आए लगभग 700,000 लोग शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि उनमें से आधे लोग बिना किसी दस्तावेज के हैं। पाकिस्तान ने दशकों के युद्ध के दौरान अफगानों को शरण दी है, लेकिन सरकार का कहना है कि शरणार्थियों की उच्च संख्या अब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा करती है और सार्वजनिक सेवाओं पर दबाव डालती है।
प्रतिदिन 700 से 800 परिवार निर्वासित
तालिबान अधिकारियों ने जानकारी देते हुए कहा कि प्रतिदिन 700 से 800 परिवारों को निर्वासित किया जा रहा है, और आने वाले महीनों में दो मिलियन लोगों के निर्वासित होने की उम्मीद है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार तालिबान अधिकारियों से बातचीत के लिए शनिवार को काबुल गए, जहां उनके समकक्ष आमिर खान मुत्ताकी ने निर्वासन के बारे में ‘गहरी चिंता’ व्यक्त की।सीमा पर निष्कासित कुछ अफगानों का कहना है कि वे पाकिस्तान में पैदा हुए थे, जब उनके परिवार संघर्ष से भाग गए थे।