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SCO मीटिंग की अध्यक्षता करेंगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, आतंकवाद के खात्मे और शांति पर जोर; पाकिस्तान वर्चुअली होगा शामिल

नई दिल्ली। शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) के डिफेंस मिनिस्टर्स की मीटिंग आज नई दिल्ली में हो रही है। बैठक में क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा, आतंकवाद पर अंकुश और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर जोर रहेगा। पाकिस्तान के डिफेंस मिनिस्टर ख्वाजा आसिफ वर्चुअली शामिल हो सकते हैं।

चीन के डिफेंस मिनिस्टर से मिले राजनाथ

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को चीन के डिफेंस मिनिस्टर से बातचीत की। इस दौरान सीमा पर शांति को लेकर राजनाथ सिंह ने कहा- मौजूदा समझौतों के उल्लंघन ने द्विपक्षीय संबंधों के पूरे आधार को खत्म कर दिया है। मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों के मुताबिक ही LAC से जुड़े सभी मुद्दों को हल किया जाना चाहिए। चीन के अलावा भी वे कुछ देशों के रक्षा मंत्रियों से मिले।

बिलावल के भारत आने पर संशय

SCO समिट में पाकिस्तान के डिफेंस मिनिस्टर ख्वाजा आसिफ के शामिल नहीं होने के बाद अब कयास लगाए जा रहे हैं कि, अगले महीने 4 और 5 मई को फॉरेन मिनिस्टर बिलावल भी शायद SCO मीटिंग के लिए दिल्ली न आएं। इन दोनों समिट के लिए भारत ने पाकिस्तान को न्योता भेजा था।

भारत कर रहा SCO बैठक की अध्यक्षता

  • वर्तमान में SCO बैठक की अध्यक्षता भारत कर रहा है।
  • SCO के अध्यक्ष के रूप में, भारत कई कार्यक्रमों की मेजबानी करने के लिए तैयार है, जिसमें सदस्य राज्यों के मुख्य न्यायाधीशों का एक सम्मेलन, विदेश मंत्रियों की बैठक और 2023 में एक शिखर सम्मेलन शामिल हैं।
  • SCO एक पॉलिटिकल, इकोनॉमिकल और सिक्योरिटी ऑर्गेनाइजेशन है। भारत, रूस, चीन और पाकिस्तान समेत इसके कुल 8 स्थाई सदस्य हैं।
  • शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) का गठन 2001 में हुआ था। शुरुआत में SCO में छह सदस्य- रूस, चीन, कजाकिस्तान, तजाकिस्तान, किर्गिस्तान और उज्बेकिस्तान थे।
  • 2017 में भारत और पाकिस्तान के भी इससे जुड़ने से इसके स्थाई सदस्यों की संख्या 8 हो गई।
  • 6 देश- आर्मीनिया, कंबोडिया, नेपाल, अजरबैजान, श्रीलंका और टर्की SCO के डायलॉग पार्टनर हैं।
  • 4 देश- अफगानिस्तान, ईरान, बेलारूस और मंगोलिया इसके ऑब्जर्वर सदस्य हैं।
  • एससीओ में चीन और रूस के बाद भारत सबसे बड़ा देश है।
  • SCO भारत के लिए एक ऐसा मंच है। जहां वो क्षेत्रीय मुद्दों पर चीन और पाकिस्तान के साथ रचनात्मक चर्चा में शामिल हो सकता है और अपने सुरक्षा हितों को उनके समक्ष रख सकता है।

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