नई दिल्ली। भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख और कैसरगंज से बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने बृजभूषण सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में आरोप तय करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि बृजभूषण के खिलाफ आरोप तय करने के पर्याप्त सबूत हैं। बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धारा 354, 506 समेत अन्य धाराओं में आरोप तय किए गए हैं।
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ बीते साल 15 जून को चार्जशीट दाखिल की थी। बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ छह पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। बृजभूषण के खिलाफ धारा 354, 354-A, 354-D और 506 के तहत आरोप लगाए गए थे।
बृजभूषण सिंह क्या बोले ?
भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा आरोप तय किए जाने के बाद कहा कि प्रथम दृष्टया अदालत ने आज आरोप तय कर दिए हैं। एक मामले को छोड़कर बाकी सभी मामलों में आरोप तय कर दिए गए हैं। मैं न्यायपालिका के फैसले का स्वागत करता हूं और अब मेरे लिए दरवाजे खुल गए हैं।
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कब लगाई जाती है IPC की धारा 354
भारतीय दंड संहिता के मुताबिक, यदि किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग किया जाता है तो ऐसे मामले में धारा 354 लगाई जाती है। जिसके तहत आरोपी पर दोष सिद्ध हो जाने पर दो साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।
क्या है पूरा मामला
कुश्ती संघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया के नेतृत्व में तमाम पहलवानों ने मोर्चा खोल रखा है। पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। ये पहलवान जंतर-मंतर पर 23 अप्रैल से धरना दे रहे थे। पहलवानों ने बृजभूषण शरण पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। इससे पहले भी पहलवानों ने जनवरी में बृजभूषण सिंह के खिलाफ धरना दिया था। हालांकि, तब खेल मंत्रालय के दखल के बाद पहलवान वापस लौट गए थे।
बृजभूषण शरण सिंह पर FIR में लगे ये आरोप
दोनों एफआईआर में आईपीसी की धारा 354 (महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग), 354ए (यौन उत्पीड़न), 354डी (पीछा करना) और 34 (सामान्य इरादे) का हवाला दिया गया। जिसमें एक से तीन साल की जेल की सजा है। एक प्राथमिकी में 6 पहलवानों के आरोप शामिल हैं और इसमें डब्ल्यूएफआई सचिव विनोद तोमर का भी नाम है।
दूसरी एफआईआर एक नाबालिग के पिता की शिकायत पर आधारित है और POCSO अधिनियम की धारा 10 को भी लागू करती है, जिसमें पांच से सात साल की कैद होती है। जिन घटनाओं का जिक्र किया गया है, वे कथित तौर पर 2012 से 2022 तक भारत और विदेशों में हुईं।
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