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ट्रंप प्रशासन को झटका : कोर्ट ने हार्वर्ड में इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के एडमिशन पर लगे बैन को रोका, छात्रों को राहत!

वॉशिंगटन/कैलिफोर्निया। अमेरिकी फेडरल कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसमें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी सहित अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्रों के वीजा रद्द करने और उन्हें देश छोड़ने के निर्देश दिए गए थे। साथ ही दाखिला देने से मना किया गया था। यह फैसला उन हजारों विदेशी छात्रों के लिए बड़ी राहत है, जो अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में भारतीय छात्र भी शामिल हैं।

कोर्ट का त्वरित फैसला

फेडरल जज एलिसन बरोज ने शुक्रवार को इस फैसले पर टेम्परेरी रेस्ट्रेनिंग ऑर्डर (TRO) जारी करते हुए कहा कि अगर इसे तुरंत रोका नहीं गया, तो हार्वर्ड और उसके हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्रों को ‘तत्काल और अपूरणीय नुकसान’ हो सकता है।

DHS ने गुरुवार को कहा था कि हार्वर्ड भविष्य में किसी भी विदेशी छात्र को दाखिला नहीं दे सकता, और वर्तमान में नामांकित छात्रों को अमेरिका छोड़ना होगा या उनका कानूनी दर्जा समाप्त हो जाएगा। इस फैसले से 7,000 से ज्यादा छात्र प्रभावित हुए हैं, जिनमें बेल्जियम की भावी महारानी प्रिंसेस एलिज़ाबेथ भी शामिल हैं, जो पब्लिक पॉलिसी में मास्टर डिग्री कर रही हैं।

हार्वर्ड बना टारगेट

दरअसल, ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर गंभीर आरोप लगाए थे। होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (DHS) की सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम के अनुसार, विश्वविद्यालय ने विदेशी छात्रों से जुड़ी जानकारियां साझा नहीं कीं। विभाग ने हार्वर्ड कैंपस में चल रहे फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों और इज़राइल विरोधी गतिविधियों को लेकर सबूत और ऑडियो-विजुअल फुटेज मांगी थी।

DHS ने आरोप लगाया कि कुछ प्रदर्शनों में हमास समर्थक भावनाएं भड़काई गईं और यहूदी छात्रों को निशाना बनाया गया। इस आधार पर विभाग ने स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम (SEVP) के तहत हार्वर्ड का सर्टिफिकेशन तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया।

हार्वर्ड का पलटवार

हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने इस फैसले को “अवैध और संविधान विरोधी” बताते हुए कोर्ट में चुनौती दी। यूनिवर्सिटी का कहना है कि सरकार का यह कदम अकादमिक स्वतंत्रता पर हमला है और इससे उनके रिसर्च व एजुकेशनल मिशन को गहरी क्षति पहुंचेगी। विश्वविद्यालय ने यह भी बताया कि उसने 13 स्कूलों में पढ़ रहे सभी विदेशी छात्रों की जानकारी समय पर मुहैया कराई थी। बावजूद इसके DHS ने उनके जवाब को ‘अपर्याप्त’ बताया, बिना किसी स्पष्ट कारण या नियम का हवाला दिए।

प्रशासनिक दबाव और फंडिंग रोकने की धमकी

याचिका में यह भी दावा किया गया कि ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड पर शासन व्यवस्था, प्रवेश नीति, फैकल्टी की नियुक्तियों और पाठ्यक्रम में बदलाव की शर्तें थोपने की कोशिश की। जब विश्वविद्यालय ने अप्रैल 2025 में इन मांगों को ठुकरा दिया, तो कुछ ही घंटों में प्रशासन ने 2.2 अरब डॉलर की रिसर्च फंडिंग फ्रीज कर दी।

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