
इंदौर। प्रसिद्ध कानूनविद, समाजसेवी और प्रगतिशील विचारक आनंद मोहन माथुर का शनिवार सुबह लंबी बीमारी के बाद 97 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन से कानूनी, सामाजिक और साहित्यिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई।
रविवार को निकलेगी अंतिम यात्रा
उनकी अंतिम यात्रा 23 मार्च को सुबह 11 बजे उनके निवास रतलाम कोठी से निकलेगी और रामबाग मुक्तिधाम पर अंतिम संस्कार किया जाएगा। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक, उनके अंतिम दर्शन के लिए समाज के विभिन्न वर्गों के लोग उनके निवास पर पहुंच रहे हैं।
कानूनी सेवा के साथ समाज में भी जगाई चेतना
आनंद मोहन माथुर सिर्फ एक प्रतिष्ठित वकील ही नहीं, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने वाले सच्चे योद्धा भी थे। उन्होंने न केवल न्यायालय में बल्कि सड़कों पर भी अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद की। वकालत के साथ-साथ उन्होंने कॉलेज में अध्यापन कार्य भी किया और कई छात्र उनके सानिध्य में न्यायिक सेवा में आए।
साहित्यिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में भी थी अहम भूमिका
इंदौर के साहित्यिक और सांस्कृतिक मंचों पर उनकी महत्वपूर्ण उपस्थिति रही। वे प्रगतिशील लेखक संघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और हमेशा सामाजिक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखते थे।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का किया नेतृत्व
एक कानून विशेषज्ञ के रूप में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व भी किया। कानूनी ज्ञान और सामाजिक सरोकारों के चलते वे न केवल वकालत के पेशे में बल्कि समाज के हर वर्ग के बीच सम्मानित व्यक्तित्व थे। उनके निधन से इंदौर समेत पूरे देश में शोक की लहर है। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।