
NAAC की ट्रांसपेरेन्सी को लेकर कुछ सवाल उठाए गए थे, जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा मंत्रालय, UGC और NAAC से जवाब मांगे है। एक NGO बिस्ट्रो डेस्टिनो फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने यह आदेश दिया। साथ ही NGO की याचिका पर NAAC से अपनी प्रक्रिया को और पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की मांग की है।
NAAC के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप
दरअसल, बिस्ट्रो डेस्टिनो फाउंडेशन की याचिका ने NAAC की प्रोसेस पर कई सवाल खड़े किए थे। साथ ही इसमें मौजूद कमियों को उजागर किया था। इसके साथ उन्होंने ने यह भी बताया कि 1 फरवरी को CBI ने NAAC के कुछ अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था। इससे संस्था की विश्वसनीयता पर भी कई सवाल उठते हैं।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 9 अप्रैल को दिए अपने आदेश में कहा था कि वह इस मामले की पूरी गहराई से जांच करना चाहता है। कोर्ट ने कहा कि वह यह भी समझना चाहता है कि NAAC किस तरह से काम करता है। इसी के साथ कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जरूरी दस्तावेज जमा करने की अनुमति भी दी है।
कैसे काम करता है NAAC
NAAC यानी नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल की स्थापना 1994 में की गई थी। यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के तहत काम करने वाली एक स्वायत्त संस्था है। इसका काम देशभर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को उनकी पढ़ाई, रिसर्च, बुनियादी सुविधाएं और वित्तीय प्रबंधन जैसे मानकों पर ग्रेड देना होता है।
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