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नई दिल्ली। भारत में दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित समाचार एजेंसियों में शामिल Reuters (रॉयटर्स) का X (पहले ट्विटर) अकाउंट शनिवार को ब्लॉक कर दिया गया। अब इस अकाउंट को भारत में एक्सेस करने की कोशिश करने पर एक मैसेज दिखता है- “इस अकाउंट को कानूनी मांग के जवाब में ब्लॉक किया गया है।” इस कदम के बाद मीडिया की आजादी, डिजिटल सेंसरशिप और भारत की सोशल मीडिया पॉलिसी को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
अब तक भारत सरकार, रॉयटर्स या X की ओर से इस ब्लॉकिंग को लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। इससे यह स्थिति और रहस्यमयी बन गई है कि आखिरकार इस बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्था का अकाउंट भारत में क्यों बंद किया गया।
एक्स की गाइडलाइन के अनुसार, किसी भी देश में अगर स्थानीय कानूनों का उल्लंघन होता है और कंपनी को कोर्ट या कानूनी संस्था से आदेश मिलता है, तो वह कंटेंट या अकाउंट को आंशिक रूप से ब्लॉक कर सकती है।
दिलचस्प बात यह है कि रॉयटर्स का X अकाउंट सिर्फ भारत में ही दिखाई नहीं दे रहा, जबकि अन्य देशों में यह अकाउंट अभी भी एक्टिव है। साथ ही, रॉयटर्स के अन्य सब-अकाउंट्स जैसे –
ये सभी भारत में अब भी खुले और एक्टिव हैं। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह रोक किसी विशिष्ट पोस्ट, रिपोर्ट या कानूनी विवाद के चलते लगाई गई हो सकती है।
इस पूरे मामले पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है कि कहीं यह फैसला रॉयटर्स की किसी विशेष रिपोर्टिंग के कारण तो नहीं लिया गया। लोगों का मानना है कि यदि किसी खबर से सरकार असहज महसूस करती है और उस पर कार्रवाई होती है, तो यह मीडिया की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।
इससे पहले अमेरिका में अप्रैल 2025 में ट्रंप प्रशासन ने रॉयटर्स को व्हाइट हाउस के प्रेस पूल से बाहर कर दिया था। तब ब्लूमबर्ग और AP जैसी अन्य एजेंसियों पर भी रोक लगी थी। उस वक्त रॉयटर्स ने कहा था कि यह कदम जनता के सटीक और स्वतंत्र जानकारी पाने के अधिकार पर हमला है।
X (पूर्व में ट्विटर) की नीति के अनुसार, “यदि किसी देश की सरकार या कानूनी संस्था से वैध अनुरोध प्राप्त होता है कि कोई अकाउंट या कंटेंट स्थानीय कानून का उल्लंघन कर रहा है, तो उस विशेष देश में इसे ब्लॉक किया जा सकता है।” यानी कि यह अकाउंट पूरी दुनिया में बंद नहीं किया गया है, केवल भारत में इसकी अस्थाई या स्थाई रोक लगाई गई है।