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पेड़ों को बचाने के लिए बांधे रक्षासूत्र, अयोध्या बायपास चौड़ीकरण के खिलाफ आंदोलन तेज, 8000 पेड़ों की कटाई का विरोध

भोपाल। अयोध्या बायपास के चौड़ीकरण के चलते 8000 पेड़ों की कटाई की योजना का विरोध अब जोर पकड़ चुका है। एनएचएआई द्वारा किए जा रहे इस सड़क निर्माण के विरोध में पर्यावरण प्रेमी, समाजसेवी, बच्चे, बुजुर्ग और आम नागरिकों ने मोर्चा खोल दिया है। रविवार शाम 5 बजे सागर एस्टेट, काकड़ा फॉर्म हाउस के सामने बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए और पेड़ों को रक्षासूत्र बांधकर, उनसे चिपककर उन्हें बचाने का संकल्प लिया। विरोध की अगुआई मीडिया समूह ‘पीपुल्स समाचार’ ने की, जिसने इस विरोध को आंदोलन का रूप दिया है और लोगों के साथ कदम से कदम मिलाकर खड़ा है।

बच्चों ने पेड़ों से चिपककर जताया विरोध

रविवार को हुए विरोध प्रदर्शन में कई पर्यावरण प्रेमी और समाजसेवी पेड़ों से चिपक गए। बच्चों ने भी भागीदारी दिखाते हुए सीधे पेड़ों से चिपककर भावनात्मक अपील की कि इन पेड़ों को न काटा जाए। हाथों में “पेड़ बचाओ, जीवन बचाओ” और “हम सबने मिलके ठाना है, पेड़ों को बचाना है” जैसे स्लोगन लिखी तख्तियां थीं। इसके साथ ही सभी ने मानव श्रृंखला बनाकर यह संदेश दिया कि यह सिर्फ विरोध नहीं, हरियाली को बचाने का संकल्प है।

हम विकास के विरोधी नहीं, पर विनाशकारी विकास नहीं चाहिए

विरोध में शामिल लोगों ने साफ तौर पर कहा कि वे विकास के विरोध में नहीं हैं, लेकिन ऐसा विकास नहीं चाहिए जिसमें विनाश छिपा हो। उनका कहना था कि हरियाली, जो भोपाल की पहचान है, उसे इस तरह मिटा देना उचित नहीं।

10 लेन बन रही सड़क, लेकिन जरूरत पर उठे सवाल

एनएचएआई अयोध्या बायपास को सर्विस लेन समेत 10 लेन में तब्दील कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इस सड़क पर तीन ब्लैक स्पॉट हैं जहां साल भर में 30-35 लोगों की जान चली जाती है। इसलिए सड़क का चौड़ीकरण जरूरी है। हालांकि, पर्यावरणविदों का कहना है कि वर्तमान आबादी और ट्रैफिक के हिसाब से फिलहाल सड़क की चौड़ाई पर्याप्त है और 8000 पेड़ों की बलि देकर चौड़ीकरण उचित नहीं है।

विरोध की आशंका को देखते हुए एनएचएआई ने हाईकोर्ट और एनजीटी में कैविएट दायर की है ताकि अदालत कोई भी स्टे देने से पहले उनका पक्ष सुने।

पेड़ों को बांधे गए रक्षासूत्र, नाम रखे गए सीएम और सांसदों के

विरोध प्रदर्शन के दौरान कई पेड़ों को रक्षासूत्र बांधकर उनकी रक्षा की शपथ ली गई। इतना ही नहीं, कई पेड़ों का नाम मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और सांसदों के नाम पर रख दिया गया। पर्यावरण प्रेमियों ने अपील की, “जब ये पेड़ आपके नाम पर हैं, तो अब कम से कम इन्हें बचा लीजिए।”

पर्यावरणविदों ने उठाई आवाज

पर्यावरणविद उमाशंकर तिवारी ने कहा, “विकास जरूरी है, पर यह हरियाली के साथ नहीं होना चाहिए। एनएचएआई को प्रोजेक्ट में बदलाव करना चाहिए जिससे प्रोजेक्ट भी पूरा हो और पेड़ भी न कटें।”

पर्यावरणविद सुयश कुलश्रेष्ठ ने कहा, “भोपाल की हरियाली इसकी पहचान है। सड़क चौड़ी करने की अभी कोई तत्काल आवश्यकता नहीं है। 8000 पेड़ों की कटाई एक तरह से शहर की सांसें छीनने जैसा है।”

पूर्व विधायक दीपक जोशी ने कहा, “हम पेड़ों को देवता मानते हैं। उन्हें विकास के नाम पर यूं काटना सही नहीं। सरकार हर बार कहती है कि पेड़ों के बदले नए पेड़ लगाए जाएंगे, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही होती है।”

पर्यावरण कार्यकर्ता दीपक गुप्ता ने पेड़ों को रक्षासूत्र बांधकर विरोध दर्ज किया था। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ पेड़ों की नहीं, हमारे अस्तित्व की लड़ाई है। हम इन पेड़ों को किसी भी कीमत पर कटने नहीं देंगे।”

पर्यावरण कार्यकर्ता नितिन सक्सेना ने कहा, “भोपाल नगर निगम के पास 8000 पेड़ों को काटने का अधिकार नहीं है। इतनी बड़ी संख्या में कटाई की अनुमति निगम नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि इतने पेड़ों को काटने की अनुमति देने का अधिकार भोपाल नगर निगर को नहीं है, बल्कि कमिश्नरेट को है। भोपाल नगर निगम सिर्फ दो-चार पेड़ों को काटने की इजाजत दे सकता है।”

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर भी जताई नाराजगी

प्रदर्शनकारियों ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पहले ही काटे गए पेड़ों पर भी नाराजगी जताई। उनका कहना था कि विकास के नाम पर हर बार पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जाता है और हरियाली को सबसे बड़ी कुर्बानी देनी पड़ती है।

 

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