Garima Vishwakarma
14 Nov 2025
रक्षाबंधन एक पवित्र हिंदू पर्व है, जिसे श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती है। बदले में भाई जीवनभर उसकी रक्षा का वचन देता है और उपहार देता है। यह त्योहार स्नेह, विश्वास और सुरक्षा के भाव का प्रतीक है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रक्षाबंधन की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी। सबसे पहले उन्होंने ही अपने भाई को राखी बांधी थी। तब से यह परंपरा पीढ़ी-दर-पीढ़ी उत्साह और श्रद्धा के साथ निभाई जा रही है।
इस साल रक्षाबंधन 9 अगस्त को मनाया जाएगा। खास बात यह है कि इस बार भद्रा काल नहीं होगा, जिससे पूरा दिन राखी बांधने के लिए शुभ रहेगा। साथ ही, लगभग 40 साल बाद कई दुर्लभ और शुभ योग एक साथ बन रहे हैं।
9 अगस्त को सर्वार्थ सिद्धि योग और सौभाग्य योग पूरे दिन रहेंगे। सूर्य और बुध के कर्क राशि में होने से बुधादित्य योग बनेगा, जबकि बृहस्पति और शुक्र के मिथुन राशि में होने से भी मंगलकारी योग बन रहा है। यह दिन को और अधिक शुभ बना देगा।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार राजा बलि ने अश्वमेध यज्ञ किया। तब भगवान विष्णु वामन अवतार में तीन पग भूमि मांगने आए। दान मिलने के बाद उन्होंने पृथ्वी, आकाश और पाताल तीन पग में नाप लिए और बलि को पाताल लोक दे दिया।
राजा बलि ने भगवान विष्णु से अनुरोध किया कि वे हमेशा उनके साथ रहें। विष्णु ने वचन निभाया और पाताल लोक में रहने लगे। यह सुनकर माता लक्ष्मी चिंतित हुईं और नारद मुनि से सलाह ली। नारद जी के सुझाव पर वे वेश बदलकर राजा बलि के पास गईं और उन्हें राखी बांधकर भाई बना लिया। बदले में उन्होंने विष्णु जी को वापस मांग लिया। बलि ने वचन निभाया और विष्णु को उनके साथ भेज दिया। तभी से बहन राखी बांधकर भाई से रक्षा का वचन लेने की परंपरा शुरू हुई।