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राजा रघुवंशी मर्डर केस : हनीमून से हत्या तक भरोसे का कत्ल… पुलिस की झूठी कहानी, जांच पर उठे सवाल; मामले में चौंकाने वाले तथ्य

Raja Raghuvanshi Murder Caseइंदौर के राजा रघुवंशी की हत्या के मामले ने पूरे देश को चौंका दिया है। हाल ही में शादी के बाद राजा और उनकी पत्नी सोनम हनीमून के लिए मेघालय के शिलांग पहुंचे थे। किसी ने सोचा नहीं था कि इस खुशी के सफर का अंत खून-खराबे में होगा। लेकिन पुलिस जांच में सामने आया कि सोनम ने अपने प्रेमी राज कुशवाहा के साथ मिलकर अपने ही पति की हत्या की साजिश रची थी।

17 दिन की गुमशुदगी और चुप्पी में छिपी कहानी

राजा की हत्या के बाद सोनम अचानक गायब हो गई। 17 दिन तक वह कहां-कहां रही, किसने उसकी मदद की, कैसे वह शिलांग से गाजीपुर तक पहुंच गई – ये सवाल अब पुलिस के लिए सिरदर्द बन गए हैं। ढाबे से फोन करना, गाजीपुर में पकड़ा जाना – यह सब कुछ दर्शाता है कि सोनम अकेली नहीं थी। सवाल उठता है कि क्या उसके पीछे कोई संगठित मदद थी?

परिजन और पुलिस आमने-सामने

एक ओर मेघालय के डीजीपी का दावा है कि सोनम ही इस हत्या की मास्टरमाइंड है और उसने सुपारी दी थी। दूसरी तरफ सोनम के परिजन और राजा के भाई विपिन इस दावे को सिरे से खारिज कर रहे हैं। विपिन का कहना है कि सोनम ने आत्मसमर्पण नहीं किया, उसे पकड़ा गया है, जब तक वह खुद कुछ नहीं कहती, वह दोषी नहीं मानी जा सकती।

पुलिस जांच पर उठे सवाल

सबसे बड़ा सवाल यह है कि हत्या के बाद सोनम आसानी से इतने राज्यों से होती हुई गाजीपुर कैसे पहुंच गई? क्या मेघालय और एमपी पुलिस का इंटेलिजेंस नेटवर्क पूरी तरह फेल नहीं हुआ?

क्या शुरुआती जांच केवल खानापूर्ति थी? क्या सोनम की भूमिका पर पहले से शक नहीं किया गया था?

खुफिया एजेंसियों की भूमिका संदिग्ध

इस हाई-प्रोफाइल केस में मेघालय, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश – तीनों राज्यों की पुलिस सक्रिय थीं। सीसीटीवी फुटेज, रेनकोट पर खून के धब्बे, कपल की स्कूटी – हर सुराग से साफ था कि साजिश गहरी है। फिर भी सोनम का ट्रेस न हो पाना जांच एजेंसियों की नाकामी को उजागर करता है।

जवाबदेही तय होना जरूरी!

अब जब सोनम को गाजीपुर से पकड़ा गया है, तो पुलिस की जिम्मेदारी बनती है कि वह सामने आए हर सुराग को पुख्ता सबूत में बदले और यह भी बताए कि जांच में इतने दिन क्यों लगे। अगर शुरुआत में ही सोनम पर शक किया जाता, तो शायद राजा की हत्या की यह गुत्थी इतनी लंबी न खिंचती।

इस केस ने पुलिस व्यवस्था और इंटेलिजेंस तंत्र की कमजोरी को उजागर कर दिया है। अब देखने वाली बात होगी कि क्या कोई अधिकारी इस चूक की जिम्मेदारी लेता है या फिर ये सवाल भी बाकी मामलों की तरह अनुत्तरित रह जाएंगे।

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