बांग्लादेश की मौजूदा सरकार ने देश की पाठ्य पुस्तकों में बड़े बदलाव का फैसला किया है। इन बदलावों के तहत देश की आजादी के संघर्ष में शेख मुजीबुर रहमान की भूमिका को सीमित कर दिया गया है। अब इन पुस्तकों में आजादी का श्रेय पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान को दिया जाएगा। अब से किताब में बताया जाएगा कि साल 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी मुजीबुर रहमान ने नहीं, बल्कि जियाउर रहमान ने दिलाई थी। इससे साफ जाहिर है कि युनूस सरकार पूर्व राष्ट्रपति और शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान की विरासत को मिटाने की कोशिश कर रही है।
पाठ्य पुस्तकों में बदलाव का निर्णय
नेशनल करीकुलम एंड टेक्स्टबुक बोर्ड (NCTB) ने हाल ही में घोषणा की है कि चौथी से लेकर नौवीं कक्षा तक की 33 पाठ्य पुस्तकों का सिलेबस बदला जाएगा। इतिहास, बांग्ला, गणित और सिविक्स जैसे विषयों की किताबों में बदलाव किए जा रहे हैं। पहली से तीसरी कक्षा की किताबों को फिलहाल पहले जैसा ही रखा गया है।
मुजीब को ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि से हटाने का फैसला
नई किताबों में बताया जाएगा कि 26 मार्च 1971 को बांग्लादेश की आजादी की घोषणा जियाउर रहमान ने की थी, न कि शेख मुजीबुर रहमान ने। इसके अलावा, मुजीब को राष्ट्रपिता कहने की परंपरा को भी खत्म कर दिया जाएगा।
राजनीतिक मतभेदों का प्रभाव
बांग्लादेश में यह विवाद वर्षों से चला आ रहा है कि देश की आजादी की घोषणा किसने की थी। वर्तमान में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी का दावा है कि यह घोषणा शेख मुजीबुर रहमान ने की थी। दूसरी ओर, विपक्षी BNP पार्टी अपने संस्थापक जियाउर रहमान को इसका श्रेय देती है।
पहले भी हुए बदलाव
यह पहली बार नहीं है जब पाठ्य पुस्तकों में बदलाव किया गया हो। 2009 में शेख हसीना के सत्ता में आने के बाद 2010 में भी पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया था। तब शेख मुजीबुर रहमान की भूमिका को प्रमुखता दी गई थी। अब सत्ता बदलते ही इस भूमिका को फिर से सीमित किया जा रहा है।
NCTB का ने कहा- गैर जरूरी महिमामंडन नहीं किया जाएगा
NCTB के अधिकारियों का कहना है कि इतिहास की किताबों में किसी भी व्यक्ति का गैर जरूरी महिमामंडन नहीं किया जाएगा। बोर्ड का दावा है कि संशोधन का उद्देश्य पाठ्यक्रम को संतुलित और तथ्यों पर आधारित बनाना है।
क्या होगा नया सिलेबस
चौथी से नौवीं कक्षा तक की 33 किताबों का संशोधन किया जाएगा। बांग्लादेश की आजादी के संघर्ष में अब जियाउर रहमान की भूमिका प्रमुख होगी। मुजीबुर रहमान का राष्ट्रपिता के रूप में उल्लेख हटा दिया जाएगा।
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