
वेटिकन सिटी के पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में निधन हो गया। आज सुबह 7:35 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। वेटिकन ने सोमवार को एक वीडियो के जरिए इसकी जानकारी दी। वेटिकन के टीवी चैनल पर कार्डिनल केविन फैरेल ने कहा, ‘हमारे पवित्र पिता फ्रांसिस अब स्वर्ग सिधार चुके हैं।’ पोप फ्रांसिस पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे और हाल ही में उन्हें डबल निमोनिया का गंभीर दौरा पड़ा था । उनकी मृत्यु के साथ वेटिकन सिटी में 9 दिनों के शोक की घोषणा हो चुकी है।
2013 में बने थे पोप, अमेरिका से चुने गए पहले व्यक्ति
पोप फ्रांसिस, जिनका असली नाम जोर्गे मारियो बर्गोलियो था, अर्जेंटीना से थे और अमेरिका महाद्वीप से चुने जाने वाले पहले पोप थे। उन्हें 13 मार्च 2013 को 76 साल की उम्र में पोप चुना गया था, जब उनके पूर्ववर्ती पोप बेनेडिक्ट XVI ने इस्तीफा दे दिया था। उनका चयन ऐसे समय हुआ था जब चर्च बाल यौन शोषण के मामलों और आंतरिक विवादों से जूझ रहा था। उन्होंने चर्च में डिसिप्लिन और ट्रांसपेरेन्सी लाने के लिए कई कदम उठाए।
विवादों और बदलावों से भरा रहा 12 साल का कार्यकाल
पोप फ्रांसिस को उनकी सोच और नीतियों को लेकर दोनों पक्षों से आलोचना मिली, रूढ़िवादियों ने परंपराएं तोड़ने का आरोप लगाया, जबकि उदारवादियों ने उन्हें और अधिक सुधार न करने के लिए दोषी ठहराया।
फिर भी, उन्होंने चर्च में कई अहम बदलाव किए। उन्होंने समलैंगिक जोड़ों को आशीर्वाद देने की अनुमति दी। साथ ही पहली बार महिलाओं को वेटिकन के प्रमुख पदों पर नियुक्त किया।
अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने दुनिया के 65 से ज्यादा देशों की यात्रा की, 900 से ज्यादा लोगों को संत घोषित किया और पांच बड़े वेटिकन सम्मेलन आयोजित किए। इनमें महिलाओं की भूमिका और चर्च की यौन नैतिकता जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।
नई नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द होगी शुरू
पोप के निधन के बाद नया पोप चुनने की प्रक्रिया यानी ‘कॉन्क्लेव’ आमतौर पर 15 से 20 दिनों के भीतर शुरू होती है। अब पूरी दुनिया की नजरें वेटिकन की अगली घोषणा पर टिकी हैं।