
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई ‘सुपर कैबिनेट’ बैठक में ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। सरकार ने जनगणना के साथ जातिगत जनगणना कराने का फैसला किया है। यह निर्णय 1947 के बाद पहली बार लिया गया है, जब केंद्र सरकार आधिकारिक रूप से जातियों की गणना भी कराएगी। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि आने वाली जणगना में जातियों की गणना भी कराई जाएगी।
कांग्रेस ने हमेशा किया जातिगत जनगणना का विरोध : वैष्णव
बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि, “देश में स्वतंत्रता यानी 1947 के बाद से जाति आधारित जनगणना नहीं हुई है। 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने इस पर विचार करने की बात जरूर कही थी, लेकिन कांग्रेस सरकार ने कभी इसे लागू नहीं किया। उन्होंने इसे सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा, “अब मोदी सरकार ने यह जिम्मेदारी अपने हाथ में ली है। जाति जनगणना केवल केंद्र का विषय है और इसे अब मूल जनगणना का हिस्सा बनाया जाएगा।”
राज्यों के प्रयासों का भी किया जिक्र
वैष्णव ने यह भी बताया कि कुछ राज्यों ने अपने स्तर पर जातिगत सर्वेक्षण किए हैं, लेकिन अब केंद्र की यह पहल राष्ट्रीय स्तर पर एकरूपता लाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास रहेगा कि इससे सामाजिक ताना-बाना प्रभावित न हो और प्रक्रिया पारदर्शिता व संतुलन के साथ पूरी की जाए।
कोविड से टली थी पिछली जनगणना
भारत में जनगणना हर 10 साल में होती है, लेकिन 2021 की जनगणना कोविड-19 महामारी के चलते टाल दी गई थी। अब सरकार इसे सितंबर 2025 से शुरू करने की योजना बना रही है। जनगणना इस साल सिंतबर से शुरू की जा सकती है। इस प्रक्रिया को पूरा होने में कम से कम 2 साल लगेंगे और इसके आखिरी आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में आ सकते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जनगणना का चक्र अब बदल गया है और अगली जनगणना 2035 में होने की संभावना है।
पूर्वोत्तर को मिला नया कॉरिडोर
कैबिनेट ने एक और बड़ा निर्णय लेते हुए शिलॉन्ग से सिलचर (मेघालय-असम) हाई-स्पीड कॉरिडोर को मंजूरी दी है। यह 166 किलोमीटर लंबा और 6 लेन का कॉरिडोर होगा, जिसकी कुल लागत 22,864 करोड़ रुपये तय की गई है। इस प्रोजेक्ट से पूर्वोत्तर राज्यों को देश के अन्य हिस्सों से बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी और सामरिक व व्यापारिक दृष्टि से यह बेहद अहम होगा।
पिछले सप्ताह नहीं हुई थी कैबिनेट बैठक
गौरतलब है कि पिछला सप्ताह कैबिनेट बैठक नहीं हो सकी थी। केवल 23 अप्रैल को CCS (कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी) की बैठक हुई थी, जिसमें पहलगाम आतंकी हमले की निंदा और सुरक्षा पर रणनीति पर चर्चा की गई थी।