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महिला आरक्षण बिल पेश : ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ दिया गया नाम, पास होने के बाद लोकसभा में होंगी 181 महिला सांसद

नई दिल्ली। संसद के विशेष सत्र का दूसरा दिन महिला आरक्षण बिल के नाम रहा। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश किया। इस बिल को नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल नाम दिया गया है। इस बिल के पेश करने का प्रस्ताव पास हो गया है। अब कल इस बिल पर चर्चा होगी। सत्र की कार्यवाही आज से नए संसद भवन में शुरू हो गई है।

पीएम ने ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ नाम दिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, अटल जी के कार्यकाल में कई बार महिला आरक्षण बिल पेश किया गया। लेकिन उसे पार कराने के लिए आंकड़े नहीं जुटा पाए और उसके कारण वह सपना आधूरा रह गया। महिला को अधिकार देने का उनकी शक्ति को आकार देने का काम करने के लिए भगवान ने मुझे चुना है। पीएम मोदी ने महिला आरक्षण को ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ नाम दिया।

पुरानी संसद में सांसदों का फोटोशूट

इससे पहले पुरानी संसद में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों का एक साथ फोटो शूट हुआ और फिर पीएम मोदी के साथ सभी सांसद पदयात्रा करते हुए नई संसद पहुंचे। इस दौरान लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य मौजूद रहे। पहले राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों ने फोटो खिंचवाई। इसके बाद दोनों सदनों के सभी सांसदों का फोटो सेशन भी हुआ। इस दौरान गुजरात से बीजेपी सांसद नरहरि अमीन की तबीयत बिगड़ गई।

विशेष सत्र में होंगी 5 बैठकें

केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है, जिसमें 5 बैठकें होंगी। यह 17वीं लोकसभा का 13वां सत्र और राज्यसभा का 261वां सत्र होगा। इस दौरान 4 बिल पेश होंगे। वहीं विपक्षी पार्टियों ने सरकार से सवाल-जवाब करने के लिए 9 मुद्दों की लिस्ट तैयार की है।

मोदी कैबिनेट से महिला आरक्षण बिल को मंजूरी

विशेष सत्र के बीच सोमवार को मोदी कैबिनेट से महिला आरक्षण बिल को मंजूरी मिल गई है। जिसके बाद केंद्र सरकार ने आज (19 सितंबर) को इसे लोकसभा में पेश किया। सदन में पहले भी कई बार महिला आरक्षण बिल रखा जा चुका है। 1996 से 27 साल में कई बार यह अहम मुद्दा संसद में उठ चुका है, लेकिन दोनों सदनों में यह पास नहीं हो सका। राज्यसभा में 2010 में तो हंगामे के बीच पास भी हो गया था, लेकिन लोकसभा से पारित नहीं हो सका था।

क्या है महिला आरक्षण बिल ?

महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी या एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है। 33 फीसदी कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी विधेयक में प्रस्ताव है। इसके साथ ही प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना भी विधेयक में प्रस्तावित है। इस संशोधन अधिनियम के लागू होने के 15 साल बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा।

आंकड़ों के मुताबिक, लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 15 फीसदी से कम है, जबकि राज्य विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से भी कम है। लोकसभा में 78 महिला सदस्य चुनी गईं, जो कुल संख्या 543 के 15 प्रतिशत से भी कम हैं। राज्यसभा में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व करीब 14 प्रतिशत है।

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