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सिंधु जल संधि स्थगित होने के बाद बौखलाया पाकिस्तान, शहबाज शरीफ उठाने वाले हैं ये बड़ा कदम

अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया। इसके बाद पाकिस्तान ने कई बार इस संधि को बहाल करने की गुहार लगाई, लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि आतंकवाद पर कार्रवाई के बिना कोई बातचीत नहीं होगी। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी पाकिस्तान को कोई समर्थन नहीं मिला।

शहबाज शरीफ ने भारत पर लगाया ‘पानी हथियार’ का आरोप

1 जुलाई 2025 को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत पर आरोप लगाया कि वह पानी को “हथियार” की तरह इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार अब जल भंडारण क्षमता बढ़ाने पर काम करेगी, ताकि सिंधु जल संधि से मिले पानी पर निर्भरता घटाई जा सके।

गिलगित-बाल्टिस्तान में बन रहा विवादित डायमर भाषा डैम

पाकिस्तान अब डायमर भाषा बांध पर जोर दे रहा है, जो गिलगित-बाल्टिस्तान और कोहिस्तान (KPK) के बीच अवैध रूप से बन रहा है। इस बांध का निर्माण इमरान खान सरकार में शुरू हुआ था। भारत ने इस पर आपत्ति जताई थी क्योंकि यह पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर (POJK) में आता है। स्थानीय लोग भी इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं और मुआवजा, पुनर्वास समेत कई मांगें रख चुके हैं।

पाकिस्तान ने पहले क्या-क्या हथकंडे अपनाए?

भारत पर दबाव बनाने के लिए पाकिस्तान ने कई तरीके अपनाए- युद्ध की धमकी दी, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शिकायतें कीं, संयुक्त राष्ट्र और वर्ल्ड बैंक में भारत के खिलाफ बयान दिए, लेकिन कोई भी कोशिश कामयाब नहीं हो सकी। वर्ल्ड बैंक ने साफ कर दिया कि यह भारत-पाकिस्तान के बीच का मुद्दा है और इसे आपसी बातचीत से सुलझाया जाए।

सिंधु जल संधि में पानी का बंटवारा कैसे होता है?

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी, जिसमें वर्ल्ड बैंक ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी।

भारत को मिली : रावी, ब्यास और सतलुज नदियां

पाकिस्तान को मिला : सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी। पाकिस्तान की 80% सिंचाई जरूरतें इन तीन नदियों से पूरी होती हैं। लेकिन भारत द्वारा संधि स्थगित करने के बाद पाकिस्तान की आर्थिक और जल संकट की स्थिति और बिगड़ गई है।

भारत का सख्त रुख – पहले आतंकवाद खत्म करो

भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया है कि जब तक आतंकवाद और पीओजेके का मुद्दा हल नहीं होता, तब तक सिंधु जल संधि या किसी अन्य समझौते पर बातचीत नहीं होगी। भारत की यह कूटनीति पाकिस्तान को अलग-थलग कर चुकी है।

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