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राजधानी के 1500 पार्कों में से 1100 बदहाल, 300 में गायब हुई हरियाली

शाहिद खान-भोपाल। राजधानी की पहचान झीलों के साथ उसकी हरियाली के लिए भी है। इस हरियाली में बाग-बगीचे और पार्कों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। बाग तो खत्म हो चुके हैं और जो बचे हैं, वे वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं। नगर निगम और सीपीए (अब बंद) सहित अन्य एजेंसियों ने 1,500 पार्क बनाए हैं। इनमें से 1,100 बेहद खराब स्थिति में हैं। नगर निगम का सर्वे बताता है कि 300 पार्क तो खाली प्लॉट में तब्दील हो चुके हैं।

इनमें से कुछ पार्कों पर कब्जे हो गए हैं। नगर निगम के 116 गार्डन हैं। इनमें से 20 ठेके पर है। इनमें से 80 फीसदी यानी 90 से अधिक पार्क बदहाल हैं। ये हाल तब है, जबकि सालाना 6 करोड़ रुपए पार्क के विकास, बच्चों के झूले, पानी के इंतजाम, सिविल वर्क, रंग-रोगन आदि में खर्च होते हैं। उद्यानिकी शाखा में 200 कर्मचारियों का अमला तो है, लेकिन हरियाली गायब है।

यादगार-ए-शाहजहांनी पार्क : सबसे पुराना यादगार-ए-शाहजहांनी अब बर्बाद हो चुका है। यहां अब धरना- प्रदर्शन होते हैं। बैंड मास्टर चौराहा निवासी अब्दुल हकीम कुरैशी बताते हैं कि हमारा बचपन इस पार्क में बीता है। अब यहां इमली और अमरूद की जगह पाम के पेड़ लगे हुए हैं। बोगनबेलिया और घास दिखाई देती है।

नीलम पार्क : नीलम पार्क पर निगम दो करोड़ खर्च कर चुका है। हालांकि यह पार्क धरना-प्रदर्शन का मैदान बन गया है। यहां आमजन और बच्चों ने आना लगभग बंद कर दिया है। पार्क के रखरखाव पर सालाना 15 लाख रुपए खर्च होते हैं। जहांगीराबाद निवासी अब्बास सिद्दीकी बताते हैं कि पहले पार्क में घनी हरियाली थी। यहां इमली और जंगल जलेबी के बड़े पेड़ थे। कई पेड़ गिर गए, तो कई पेड़ काट दिए गए।

फिरदौस पार्क : फिरदौस पार्क को पुरानी स्थिति में लाने के लिए दो साल में 40 लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं। यहां महिलाओं को ध्यान में रखते हुए सुविधाएं विकसित करने का दावा किया गया। राशि निकल गई, कहां खर्च हुई पता नहीं, लेकिन पार्क अब भी बदहाल है। श्यामला हिल्स निवासी राहिल कुरैशी बताते हैं कि इस पार्क में दूसरे पार्कों के मुकाबले ज्यादा हरियाली है। हालांकि पहले जितने अब नहीं बचे हैं।

किलोल पार्क : छोटे तालाब पर बनाए गए आर्च ब्रिज ने आधा पार्क लील लिया। जिस हिस्से से ब्रिज गुजरा है, वहां अमरूद, इमली, जंगल जलेबी के ढेरों पेड़ थे, जिन्हें काट दिया गया। 15 हजार वर्ग फीट दायरे वाले इस पार्क का 8 हजार वर्ग फीट हिस्सा ब्रिज की भेंट चढ़ गया। यह वही हिस्सा था जहां सबसे ज्यादा हरियाली थी। इस पार्क को तत्कालीन नगर निवेशक एमएन बुच (आईएएस) ने 1975 में बनवाया था।

पार्कों में पाम ट्री खूबसूरती बढ़ाने के लिए लगाया जाता है। लेकिन अब आम, अमरूद, बरगद और अन्य देशी पेड़ों को लगाया जाएगा। इसके लिए उद्यानिकी शाखा को निर्देशित किया जाएगा। -हरेंद्र नारायण, आयुक्त, नगर निगम

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