
ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के फॉरेंसिक साइंस (विधि विज्ञान) विभाग ने दुनिया की पहली मिनिमली इनवेसिव ऑटोप्सी तकनीक की शुरुआत की है। इस तकनीक में अब पोस्टमार्टम के लिए शव की चीरफाड़ नहीं करनी पड़ेगी। एम्स ऋषिकेश के फॉरेंसिक विभाग के प्रमुख डॉ. बिनय कुमार बस्तिया ने बताया कि इस तकनीक में डेड बॉडी पर सिर्फ 3 जगह करीब 2- 2 सेंटीमीटर के छोटे छेद किए जाते हैं। इन छेदों से लैप्रोस्कोपिक कैमरा (दूरबीन जैसा यंत्र) शरीर के अंदर डाला जाता है। फिर सीटी स्कैन और वीडियो कैमरा की मदद से शरीर के अंगों की जांच की जाती है। जांच की सारी प्रक्रिया को रिकॉर्ड किया जाता है और डिजिटल रूप में अदालत को पेश किया जा सकता है।
शिक्षा और न्याय के लिए होगी बहुत उपयोगी
- पूरी प्रक्रिया रिकॉर्ड होती है, जिससे ये मेडिकल छात्रों के लिए भी सीखने का मौका बनती है।
- अदालतों में पेश करने के लिए ये डिजिटल सबूत ज्यादा भरोसेमंद और साफ-सुथरे होते हैं।
फॉरेंसिक सिस्टम को मिलेगी नई दिशा
यह तकनीक विज्ञान और मानवीय संवेदनशीलता का अनूठा मेल है और इससे भारत ही नहीं, दुनिया भर में फॉरेंसिक सिस्टम को एक नई दिशा मिल सकती है। – डॉ. बिनय कुमार बस्तिया, एम्स-ऋषिकेश