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अनोखा स्टार्टअप – “रोटी का करोबार”, होती है एडवांस बुकिंग, होम डिलीवरी भी उपलब्ध

भोपाल। आज आपको एक ऐसे स्टार्ट अप के बारे में बताने जा रहे हैं जो थोड़ा हटकर है। बात कर रहे हैं भोपाल में खुले रोटी के कारोबार की। भोपाल के बरखेड़ा पठानी (जगह का नाम एक दिन पहले ही बदलकर लाल बहादुर शास्त्री नगर हो गया है) में कमल सिंह यादव ने चार साल पहले रोटी का व्यापार शुरू किया। देखते ही देखते केवल रोटियां बेचकर ही कमल ने पुराने स्कूटर से नई कार तक का सफर तय कर लिया। उनकी राह में कोरोना की बाधा भी आई लेकिन अब धंधे ने दोबारा स्पीड पकड़ ली है। कमल केवल रूमाली और तवे की रोटियां ही बनाते और सप्लाई करते हैं, लेकिन भविष्य में इनका इरादा तंदूरी, मटका और अन्य तरह की रोटियां बनाने के साथ खान-पान के कारोबार में उतरने का भी है।

वर्किंग फैमिली और स्टूडेंट्स से आया आइडिया

कमल को इस अनोखे काम का आइडिया पांच साल पहले आया था। वे उस समय टिफिन सेंटर चलाते थे। इस दौरान उसने देखा कि पढ़ाई के लिए आने वाले विद्यार्थी और कामकाजी परिवार अक्सर रोटी नहीं बना पाते, इसी वजह से टिफिन या होटल का भोजन करते थे। कमल ने सोचा कि यदि रोटी की तकलीफ दूर हो जाए तो स्टूडेंट और वर्किंग फैमिली का समय और पैसा दोनों बचेगा।  यह आइडिया कमल को क्लिक कर गया औ्रर उन्होंने टिफिन सेंटर बंद कर रोटी के व्यापार में उतरने का फैसला ले लिया।

रुमाली रोटी बनाते हुए कमल

कोरोना बना बाधा लेकिन डिगे नहीं कमल

कमल ने भोपाल के बरखेड़ा इलाके में स्थित अपने घर से नए व्यापार की नींव रखी। लोगों से संपर्क किया और घर-घर रोटी की होम डिलीवरी शुरू की। स्टूडेंट्स और कामकाजी परिवार उनके पहले ग्राहक बने।  फिर घरों के साथ-साथ होटलों, ढाबों, शादी-पार्टी में भी रोटी सप्लाई होने लगी। इस बीच कोरोना ने काम पर ब्रेक लगा दिया। रोटी का धंधा बंद होने की कगार पर आ गया था लेकिन कमल ने कोरोना खत्म होते ही दोबारा काम जमा लिया। अपने नाम से रोटी सेंटर चलाने वाले कमल पहले स्कूटर से रोटियां लेकर घर-घर जाते थे लेकिन अब अधिकांश ग्राहक उनके घर पर रोटी लेने आते हैं। इसके अलावा बल्क में रोटियों के ऑर्डर की डिलीवरी वे अपनी कार से करते है। रोटी की गुणवत्ता बनी रहे इसलिए साफ-सफाई का खास ध्यान रखते हुए केवल ब्रांडेड आटा ही यूज किया जाता हैं।

तवा रोटी बनातीं महिलाएं

रवि और बुध को ज्यादा बिकती हैं रोटियां

गर्मियों के बजाय सर्दियों के दौरान रोटियों की खपत ज्यादा होती है। इसके साथ ही रविवार और बुधवार को रोटियों की डिमांड आम दिनों के मुकाबले ज्यादा रहती है। एक दिन में यहां से 2000 रोटियां बिकती हैं। फिलहाल तीन महिलाओं को यहां रोटी बनाने के लिए नौकरी पर रखा गया है।  कमल 3 रूपए की तवा रोटी और 4 रूपए की रुमाली रोटी बेच रहे हैं, जो ढाबों या होटल के मुकाबले लगभग आधी कीमत है। इस कारोबार की एक खासियत ये भी है कि रोटियों के लिए एडवांस बुकिंग भी होती है। कमल की रोटी दोपहर में खानी हो तो सुबह 10 बजे तक और रात को मंगानी हो तो शाम 6 बजे तक ऑर्डर बुक करना पड़ता है।

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