
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में नगरीय प्रशासन मंत्री ने लड़कियों के पहनावे को लेकर एक बार फिर ऐसा बयान दिया है, जो चर्चाओं में आ गया है। विजयवर्गीय ने कहा, हमारे यहां तो लड़की श्रृंगार करे, गहने पहने, अच्छे सुंदर कपड़े पहने तो अच्छा मानते हैं। बहुत सुंदर है। लेकिन विदेश में जो कम कपड़े पहनती है उसे अच्छा मानते हैं, उनकी सोच है।
कम कपड़े वाली लड़कियां अच्छी नहीं लगती
ऐसा कहते हैं कि कम कपड़े पहनने वाली लड़की सुंदर होती है और कम भाषण देने वाला नेता अच्छा होता है। मैं नहीं मानता हूं। महिला देवी का स्वरूप होती है, खूब कपड़े पहने। कम कपड़े वाली अच्छी नहीं लगती है। कई बार लड़कियां आती हैं सेल्फी लेने के लिए, तो मैं बोल देता हूं, बेटा अच्छे कपड़े पहना करो। फोटो फिर लेना।”
यह पहली बार नहीं है जब मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखी हो, इससे पहले अप्रैल 2023 में भी वे ‘गलत पहनावे’ वाली लड़कियों की तुलना रामायण की ‘शूर्पणखा’ से कर चुके हैं। इस नए बयान ने फिर से बहस छेड़ दी है।
क्या बोले मंत्री कैलाश विजयवर्गीय?
कैलाश विजयवर्गीय ने बीजेपी के नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा के संक्षिप्त भाषण की सराहना करते हुए अपनी बात शुरू की। उन्होंने कहा, “उन्होंने अच्छा और छोटा भाषण दिया। छोटा भाषण ही देना चाहिए।” इसके बाद उन्होंने पाश्चात्य और भारतीय संस्कृति में पहनावे के दृष्टिकोण पर टिप्पणी की।
जब शूर्पणखा से की थी तुलना
बता दें कि कैलाश विजयवर्गीय ने हनुमान जयंती के दौरान जैन समाज के एक कार्यक्रम में भी इसी तरह का बयान दिया था। तब उन्होंने कहा था, “महिलाओं को हम देवियां कहते हैं। मगर, उनमें देवी का स्वरूप नहीं दिखता, बल्कि शूर्पणखा जैसी दिखती हैं। मैं हनुमान जयंती पर झूठ नहीं बोलता हूं। भगवान ने लड़कियों को कितना सुंदर शरीर दिया है, जरा अच्छे कपड़े पहनो यार।”
इंदौर – सुर्खियों में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का बयान, बोले- कम कपड़े पहनने वाली लड़की सुंदर नहीं होती और कम भाषण देने वाला नेता अच्छा नहीं होता…
हिंदू संस्कृति और ‘नाइट कल्चर‘ पर मंत्री का रुख
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय अपनी गहरी हिंदू सांस्कृतिक आस्थाओं के लिए जाने जाते हैं। वे अक्सर नाइट कल्चर, ड्रग्स और नशे के खिलाफ मुखर रहे हैं।
जताई थी कड़ी आपत्ति
इंदौर में बार और पब के बाहर से अक्सर सामने आने वाले विवादित फोटो और वीडियो पर उन्होंने कड़ी आपत्ति जताई थी। उनके लगातार विरोध के बाद ही इंदौर में ‘नाइट कल्चर’ पर रोक लग पाई थी।